राम भजा सो जीता जग में,
राम भजा सो जीता रे।
हृदय शुद्ध नही कीन्हों मूरख,
कहत सुनत दिन बीता रे।
राम भजा सो जीता जग में …
हाथ सुमिरनी, पेट कतरनी,
पढ़ै भागवत गीता रे।
हिरदय सुद्ध किया नहीं बौरे,
कहत सुनत दिन बीता रे।
राम भजा सो जीता जग में …
और देव की पूजा कीन्ही,
हरि सों रहा अमीता रे।
धन जौबन तेरा यहीं रहेगा,
अंत समय चल रीता रे।
राम भजा सो जीता जग में …
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कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 10 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 10)
बाँवरिया बन में फंद रोपै,
संग में फिरै निचीता रे।
कहे ‘कबीर’ काल यों मारे,
जैसे मृग कौ चीता रे।
राम भजा सो जीता जग में …
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