तृष्णा ना जाये मन से ॥
दोहा – मथुरा वृन्दावन सघन,
और यमुना के तीर,
धन्य धन्य माटी सुघर,
धन्य कालिंदी नीर ॥
कृष्णा बोलो कृष्णा,
हरे कृष्णा राधे कृष्णा ॥
तृष्णा ना जाये मन से,
कृष्णा ना आये मन में,
जतन करूँ मैं हजार,
कैसे लगेगी नैया पार,
घनश्याम जी,
कैसे लगेगी नैया पार ॥
इक पल माया साथ ना छोड़े,
जिधर जिधर चाहे मुझे मोड़े,
हरी भक्ति से हरी पूजन से,
मेरा रिश्ता नाता तोड़े,
माया ना जाये मन से,
भक्ति ना आये मन में,
जीवन ना जाये बेकार,
कैसे लगेगी नैया पार,
मेरे श्याम जी,
कैसे लगेगी नैया पार ॥
क्षमा करो मेरे गिरिवर धारी,
चंचलता मन की लाचारी,
लगन जगा दो मन में स्वामी,
तुम हो प्रभु जी अंतर्यामी,
मन ना बने अनुरागी,
भावना बने ना त्यागी,
दया करो करतार,
कैसे लगेगी नैया पार,
घनश्याम जी,
कैसे लगेगी नैया पार ॥
पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 11 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 11)
हे दुःख भन्जन, मारुती नंदन - भजन (Bhajan: Hey Dukh Bhanjan Maruti Nandan)
दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रं (Daridraya Dahana Shiv Stotram)
तृष्णा ना जाए मन से,
कृष्णा ना आये मन में,
जतन करूँ मैं हजार,
कैसे लगेगी नैया पार,
घनश्याम जी,
कैसे लगेगी नैया पार ॥