दर पे तुम्हारे सांवरे,
सर को झुका दिया,
मैंने तुम्हारी याद में,
खुद को मिटा दिया,
दर पे तुम्हारे साँवरे,
सर को झुका दिया ॥
ओ सांवरे ओ सांवरे,
तिरछी तोरी नजर,
घायल कर गई है,
मेरा फूलों सा जिगर,
मुरली की तेरी तान ने,
पागल बना दिया,
दर पे तुम्हारे साँवरे,
सर को झुका दिया ॥
तुम देखो या ना देखो,
मेरे नसीब को,
पर रहने दो मुझको सदा,
अपने करीब तो,
है बार बार मैंने,
तुमको भुला लिया,
दर पे तुम्हारे साँवरे,
सर को झुका दिया ॥
मैं क्या बताऊं तुमको,
क्या खा रहा है गम,
बेकार हो ना जाए कहीं,
मेरा यह जनम,
मुझ पे हंसेगी जिंदगी,
यूँ यूँ ही गवां दिया,
दर पे तुम्हारे साँवरे,
सर को झुका दिया ॥
दिल में लग रही है,
विरह की आग यह,
एक दिन बुझेगी तुमको,
पाने के बाद यह,
होगी सफल ये साधना,
जब तुमको पा लिया,
दर पे तुम्हारे साँवरे,
सर को झुका दिया ॥
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दर पे तुम्हारे सांवरे,
सर को झुका दिया,
मैंने तुम्हारी याद में,
खुद को मिटा दिया,
दर पे तुम्हारे साँवरे,
सर को झुका दिया ॥