सुख के सब साथी,
दुःख में ना कोई ।
मेरे राम, मेरे राम..
तेरा नाम एक साँचा,
दूजा ना कोई ॥
जीवन आनी जानी छाया,
झूठी माया, झूठी काया ।
फिर काहे को सारी उमरियाँ,
पाप की गठड़ी ढोई ॥
सुख के सब साथी,
दुःख में ना कोई ।
मेरे राम, मेरे राम..
तेरा नाम एक साँचा,
दूजा ना कोई ॥
ना कुछ तेरा, ना कुछ मेरा,
ये जग जोगीवाला फेरा ।
राजा हो या रंक सभी का,
अंत एक सा होई ॥
सुख के सब साथी,
दुःख में ना कोई ।
मेरे राम, मेरे राम..
तेरा नाम एक साँचा,
दूजा ना कोई ॥
जम्भेश्वर भगवान आरती (जय गुरुदेव दयानिधि,ओम शब्द सोहम ध्यवे,ओम जय जगदीश हरे)
सीता राम दरस रस बरसे - भजन (Sita Ram Daras Ras Barse Jese Savan Ki Jhadi)
पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 14 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 14)
बाहर की तू माटी फाँके,
मन के भीतर क्यों ना झाँके ।
उजले तन पर मान किया,
और मन की मैल ना धोई ॥
सुख के सब साथी,
दुःख में ना कोई ।
मेरे राम, मेरे राम..
तेरा नाम एक साँचा,
दूजा ना कोई ॥