ओ राही रुक जाना,
जहाँ चितचोर बसे,
उस राह पे मत जाना ॥
मोहन बड़ा छलिया है,
मोहन बड़ा छलिया है,
सर पे मोर मुकुट,
हाथों में मुरलिया है,
ओ राहीं रुक जाना,
जहाँ चितचोर बसे,
उस राह पे मत जाना ॥
तेरा धन नहीं लूटेगा,
तेरा धन नहीं लूटेगा,
तिरछी नजरिया से,
तेरे मन को लूटेगा,
ओ राहीं रुक जाना,
जहाँ चितचोर बसे,
उस राह पे मत जाना ॥
सुन ले पछताएगा,
सुन ले पछताएगा,
उसके पास गया,
फिर लौट ना आएगा,
ओ राहीं रुक जाना,
जहाँ चितचोर बसे,
उस राह पे मत जाना ॥
वो मुरली बजाएगा,
वो मुरली बजाएगा,
मीठी मीठी तानों से,
तेरे चित को चुराएगा,
ओ राहीं रुक जाना,
जहाँ चितचोर बसे,
उस राह पे मत जाना ॥
श्री तुलसी षोडशकनाम स्तोत्रम् (Shri Tulasi Shodashakanam Strotam)
हरि कर दीपक, बजावें संख सुरपति: आरती (Hari Kar Deepak Bajave Shankh Surpati)
जम्भोजी ने सांणीया (भूत) को रोटू गाव से भगाया भाग 1
ओ राही रुक जाना,
जहाँ चितचोर बसे,
उस राह पे मत जाना ॥