बिसर गई सब तात पराई,
जब ते साध संगत मोहे पाई,
ना कोई बैरी नहीं बेगाना,
सगल संग हमको बन आई,
बिसर गई सब तात पराई,
बिसर गयी सब तात पराई ।
जो प्रभु कीन्हो सो भल मान्यो,
एह सुमत साधु ते पाई,
बिसर गई सब तात पराई,
बिसर गयी सब तात पराई ।
सब में रव रहिया प्रभु एको,
पेख पेख नानक बिगसाई,
बिसर गई सब तात पराई,
बिसर गयी सब तात पराई ।
श्री बृहस्पति देव की आरती (Shri Brihaspati Dev Ji Ki Aarti)
पर्वत से उतर कर माँ, मेरे घर आ जाना: भजन (Parvat Se Utar Kar Maa Mere Ghar Aa Jana)
Post Views: 1,236