रास कुन्जन में ठहरायो – भजन (Raas Kunjan Me Thahrayo)

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रास कुन्जन में ठहरायो,
रास मधुबन में ठररायो,
सखियाँ जोवे बाँट,
साँवरो अब तक नहीं आयो
रास कुंजन में ठहरायो ॥

राधा सोच करे मन माहीं,
कोई बिलमायों,
कुण जाने, कितगयो सांवरो,
अब तक नहीं आयों ॥

रास कुन्जन में ठहरायो,
रास मधुबन में ठररायो,
सखियाँ जोवे बाँट,
साँवरो अब तक नहीं आयो
रास कुंजन में ठहरायो ॥

इतने में तो बाजी बांसुरी,
मधुबन धरणायो,
डाल-डाल और पात-पात पर,
श्याम नजर आयों ॥

रास कुन्जन में ठहरायो,
रास मधुबन में ठररायो,
सखियाँ जोवे बाँट,
साँवरो अब तक नहीं आयो
रास कुंजन में ठहरायो ॥

कोई ल्यायो लाल मंजीरा,
कोई डफ ल्यायों,
दे दे ताली नाची रे,
राधिका ऐसो रंग छायो ॥

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रास कुन्जन में ठहरायो,
रास मधुबन में ठररायो,
सखियाँ जोवे बाँट,
साँवरो अब तक नहीं आयो
रास कुंजन में ठहरायो ॥

जो सुख को ब्रह्मा शिव तरसे,
गोपी जन पायो,
गोपी मण्डल ऊग्यारे चन्द्रमा,
वो भी शरमायो ॥

रास कुन्जन में ठहरायो,
रास मधुबन में ठररायो,
सखियाँ जोवे बाँट,
साँवरो अब तक नहीं आयो
रास कुंजन में ठहरायो ॥

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Sandeep Bishnoi

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