कब सुधि लोगे मेरे राम,
मैं तो नैन बिछाई तेरी राह में,
कब सुध लोगे मेरे राम ॥
नित उठ भोर को,
डगर बुहारूं,
मैं तो राह निहारूं,
विरह के दिन मैं,
रो रो गुजारूं मैं तो,
तुझको पुकारूँ,
लोगे खबर कब राम,
मैं तो नैन बिछाई तेरी राह में,
कब सुध लोगे मेरे राम ॥
थक नैन भी,
मन को निराशा अब,
होने लगी है,
देर करो ना प्रभु,
धीरज भी अब,
खोने लगी है,
अब एक दिन भी लागे साल,
मैं तो नैन बिछाई तेरी राह में,
कब सुध लोगे मेरे राम ॥
कब सुधि लोगे मेरे राम,
मैं तो नैन बिछाई तेरी राह में,
कब सुध लोगे मेरे राम ॥
अहं ब्रह्मास्मि महावाक्य (Aham Brahmasmi)
श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान गौ चारण लीला भाग 4
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