कैलाश के निवासी नमो बार बार हूँ,
आये शरण तिहारी प्रभु तार तार तू,
भगतो को कभी शिव ने निराश न किया,
माँगा जिसे चाहा वही वरदान दे दियां,
बड़ा है तेरा दायरा बड़ा दातार तू,
आये शरण तिहारी प्रभु तार तार तू,
बखान क्या करू मैं रखो की ढेर का,
चुटकी कबूत में है खजाना कुबेर का,
हे गंगा धार मुक्ति धार ओम कार तू,
आये शरण तिहारी प्रभु तार तार तू,
क्या क्या नहीं दिया है ये हम प्रमाण है,
तेरी किरपा के आसरे सारा जहां है,
ज़हर पिया जीवन दिया कितना उधार तू ,
आये शरण तिहारी प्रभु तार तार तू,
तेरी किरपा बिना न हिले इक भी अड़हु,
लेते है सांस तेरी दया से तनु तनु,
करदे ठाठ इक वार मुझको निहार तू,
आये शरण तिहारी प्रभु तार तार तू,
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