गजमुखं द्विभुजं देवा लम्बोदरं: भजन (Gajmukham Dvibhujam Deva Lambodaram)

jambh bhakti logo

गजमुखं द्विभुजं देवा लम्बोदरं,
भालचंद्रं देवा देव गौरीशुतं ॥

कौन कहते है गणराज आते नही,
भाव भक्ति से उनको बुलाते नही ॥

कौन कहते है गणराज खाते नही,
भोग मोदक का तुम खिलाते नही ॥

कौन कहते है गणराज सोते नही,
माता गौरा के जैसे सुलाते नही ॥

कौन कहते है गणराज नाचते नही,
रिद्धि सिद्धि के जैसे नचाते नही ॥

होली के भजन (Holi Bhajan)

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 25 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 25)

आरती: श्री रामायण जी (Shri Ramayan Ji)

गजमुखं द्विभुजं देवा लम्बोदरं,
भालचंद्रं देवा देव गौरीशुतं ॥

Picture of Sandeep Bishnoi

Sandeep Bishnoi

Leave a Comment