गजमुखं द्विभुजं देवा लम्बोदरं,
भालचंद्रं देवा देव गौरीशुतं ॥
कौन कहते है गणराज आते नही,
भाव भक्ति से उनको बुलाते नही ॥
कौन कहते है गणराज खाते नही,
भोग मोदक का तुम खिलाते नही ॥
कौन कहते है गणराज सोते नही,
माता गौरा के जैसे सुलाते नही ॥
कौन कहते है गणराज नाचते नही,
रिद्धि सिद्धि के जैसे नचाते नही ॥
राम नाम जपते रहो, जब तक घट घट मे प्राण (Ram Nam Japte Raho, Jab Tak Ghat Ghat Me Ram)
ओ मोरछड़ी वाले, कब तक तेरी राह तकूँ: भजन (O Morchadi Wale Kab Tak Teri Raah Taku)
दीदार, करने आया तेरे द्वार: भजन (Deedar Karne Aaya Tere Dwar)
गजमुखं द्विभुजं देवा लम्बोदरं,
भालचंद्रं देवा देव गौरीशुतं ॥
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