साधु दीक्षा मंत्र (बिश्नोई जम्भेश्वर भगवान)

jambh bhakti logo

                                                    साधु दीक्षा मंत्र (बिश्नोई जम्भेश्वर भगवान)

साधु दीक्षा मंत्र
साधु दीक्षा मंत्र

                   साधु  दीक्षा मंत्र

ओ३म् शब्द सोहं आप, अन्तर जपे अजपा जाप।

सत्य शब्द ले लंघे घाट, बहुरी न आवे योनी वाट।

 परसे विष्णु अमृत रस पीवै, जरा न व्यापे, युग युग जीवै। विष्णु मंत्र है प्राणाधार, जो कोई जपै सो उतरे पार।

ओ३म् विष्णु सोहं विष्णु, तत स्वरूपी तारक विष्णु।

 गुरु जब किसी नये व्यक्ति को साधु दीक्षा देता है, भगवा वस्त्र धारण करवाता है तो यह उपयुक्त मंत्र सुनाता है। ऐसी ही परम्परा श्री गुरुदेवजी ने बतलायी है हवन पाहल के साथ ही साथ यह मंत्र सुनाकर उसे साधना में रत होने के लिए तैयार करता है। मंत्र एवं साधना दोनों ही इस मंत्र में विद्यमान हैं। इसलिए यह विचारणीय है कि क्या साधना हमारे साधु विरक्त समाज को दी है।

 ओम शब्द ही आत्मा है जो यह ब्रह्म है वह मैं ही हूँ। ऐसा ही स्मरण जप करें, उसी का ही साक्षात्कार करें। जिसका साक्षात्कार किया जावेगा, वह मैं ही हूँ। इसलिए अपने स्वरूप में स्थित होना ही अन्तिम लक्ष्य एवं साधना है। बाह्य दिखावा न करें, केवल अजप्या जाप, धांसों ही बांस स्वत: ही स्मरण चलता रहे। किसी भी क्षण उसे भूले नहीं। यही परम साधना ध्यान एवं पूजा है। यही साधना यति साधु सन्यासी के लिए बतलायी है।

 सत्य शब्द ओम ही है, इसे ही लेकर संसार सागर से पार उतर सकते हैं। इसके अतिरिक्त अन्य उपाय नहीं है।सत्य शब्द लेकर संसार सागर से पार उतर जाने का अर्थ है कि बार बार मां के गर्भ में नहीं आना पड़ेगा। सदा-सदा के लिए मुक्त हो जायेगा। विष्णु का दर्शन स्पर्श इस मन्त्र द्वारा करे। इसी मार्ग को पकड़कर विष्णु का साक्षात्कार करें जो आपकी आत्मा रूप से विद्यमान है।

भजन: बाल गोपाला, प्यारे मुरारी मोरे नन्द लाला! (Bhajan: Baal Gopala Pyare Murari More Nandlala)

विश्नोई पंथ एवं प्रहलाद भाग 1

मेरे बालाजी सरकार, के तो रंग निराले: भजन (Mere Balaji Sarkar Ke To Rang Nirale Hai)

जब आपको विष्णु का दर्शन स्पर्श हो जायेगा तो उस अद्भुत अमृत रस आपने नहीं चखा है। उस महान आनन्द की प्राप्ति होगी। संसार में कहीं भी किसी भी विषय में वह आनन्द दृष्टिगोचर नहीं होता। इस प्रकार से अमृत की प्राप्ति हो जाने से आपको बुढ़ापा नहीं अयेगा और न ही आप मृत्यु को प्राप्त हो सकोगे। कहा भी है

कलियुग दोहे बड़ा राजिन्दर, गोपीचंद भरथरियो जीवने।

 ऐसे लोग अमृत का पान करके अमर हो गये यह विष्णु मंत्र ही प्राणों का आधार है। हमारे प्राण चलते हैं, हमारा जीवन सुचारू रूप से उन्हीं विष्णु की कृपा से ही चलता है। जो भी जप करेगा वह संसार सागर से पार उतर जायेगा। ओम ही विष्णु है, विष्णु ही ओम है। इनमें कुछ भी भेद नहीं है। मैं भी विष्णु हूँ, आप भी विष्णु हैं। यह आत्मा जिसे मैं नाम से कहा जाता है वह विष्णु ही है। इस संसार में जो भी तत्व है वह विष्णु ही है, अन्य सभी कुछ तो मिथ्या ही है।

 इस संसार में शरीर धारी जीव को संसार सागर से पार उतारने वाले भी विष्णु ही है। इसलिए जप विष्णु का करें, शरण विष्णु की ग्रहण करें। क्योंकि विष्णु सभी की आत्मा है। ओम की ध्वनि उच्चारण करें, वह भी विष्णु ही है। इस प्रकार की शब्द साधना साधु को दी जाती है।

साधु  दीक्षा मंत्र, साधु  दीक्षा मंत्र, साधु  दीक्षा मंत्र

Picture of Sandeep Bishnoi

Sandeep Bishnoi

Leave a Comment