भजन :- आणद हियो रे अपार पिपासर नगरी में।
आणद हुओ अपार पीपासर नगरी में ।
खुशी भये नर नार पीपासर नगरी में ।।टेर।।
पीपासर में आनंद भारी, तृलोकी अवतारी ।
स्वर्ग लोक सुर बाजा बाजे, खुशी भये नर नारी।
म्हारा जाग्या पुर बला भाग
शिव ब्रह्मा और ऋषि मुनि करे सभी आरती ।
छोटी बड़ी सब ही देवी मंगल की उचारती ।
प्रेम मग्न दिन रात
माता हंसाजी के मन, खुशी परमानन्द की ।
प्रेम की विभोर, देखो, चकोर चंद की।
कोई कृष्ण कवल चिललाय ।
लोहटजी बधाई बांटे, पट अन धन की।
बामण भाट नाई दाई, आस पूरी मन की ।
कर रहे जय जयकार ।
चारो और से संत जन ऋषि मुनि आय रहे ।
दर्शन से सफल भये मन में हरसाय रहे ।
मोहन की धन्य भाग पीपासर ।
श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा 2 (Shri Brihaspati Dev Ji Vrat Katha In Hindi Vol2)
दुर्गा है मेरी माँ, अम्बे है मेरी माँ: भजन (Durga Hai Meri Maa Ambe Hai Meri Maa)
अपने दरबार में तू बुलालें: भजन (Apne Darbar Mein Tu Bula Le)
भजन:- म्हाने आछो लागे महाराज दर्शन जांभ जी रो
म्हाने आछो लागे महाराज दर्शन जांभोजी रो
म्हाने प्यारो लागे महाराज दर्शन जाम्भोजी रो ।।टेर।। जोजन धुन शब्दों की सुनिये, घट परमल री वास ।I1।।
चहुं दिश सन्मुख पीठ नहीं दीखे, क्रोड़ भाण प्रकाश ।।2।। चालत खोजत खेह नहीं खटको नहीं दीसे तन छाय ।।3।।
तृष्णा भूख और नींद नहीं आवे, काम क्रोध घटनाय ।।4।। भगवी टोपी भगवो चोलो, भलो सुरंगो भेष ।।5।।
समराथल पर गुरूजी बिराजे, करे शब्दां रो उपदेश ।।6।।
परमानन्द की बीणती, म्हारो हुवैला बैकुंठा में वास ।।7।।
भजन :- गुरूजी थासूं मिलन रो माने कोड
गुरूजी थांसू मिलण रो म्हाने कोड समराथल धोरे आवांला। म्हारे मन में कोड लागियों जांवा धाम मुकाम ।
जाम्भोजी रा दर्शन करस्या, चरणां में चित लगाया। उत्तर-दक्षिण पूरब-पश्चिम धोक देवड़ा आय ।
जब म्हाने गुरूजी दर्शन देवेला,भजन आरती मुरली गाय।2
थारे यात्री आवे धणेरा म्हाने भूलियो नाम ।
भूल्ये गुरूजी नहीं सरेला शरण पड़े थारे आय ।।3।।
थारे अंग रो चोलो गुरूजी पड़यो जांगलू मांय ।
उण चोलेरा दर्शन करस्यां बरसिंग वाली नाडी करा स्नान।।4।।
म्हाने आछो लागे महाराज दर्शन जांभ जी रो









