आरती कीजै गुरू जंभ जती की,आरती कीजै गुरू जंभ तुम्हारी, जम्भेश्वर भगवान आरती

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आरती कीजै गुरू जंभ जती की
आरती कीजै गुरू जंभ जती की

      आरती 1 : आरती कीजै गुरू जंभ जती की

आरती कीजै गुरू जंभ जती की

 भगत उधारण प्राण पति की।

 पहली आरती लोहट घर आये,

 बिना बादल प्रभू इंडिया झूरायै ।।1।।

 दूसरी आरती पीपासर आये,

 दूदाजी ने प्रभू परचौ दिखायै ।।2।।

 तीसरी आरती समराथल आये, 

पुलाजी ने प्रभु सुरग दिखायै ।।3।।

 चौथी आरती अनवी निवायै,

 भूत लोक प्रभुपाद कहवायै ।।4।।

 पांचवी आरती ऊधोजक गावै,

 वास बैंकुठं अमर पद पावै ।

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आरती 2: आरती कीजै गुरू जंभ तुम्हारी

  आरती कीजै गुरू जंभ तुम्हारी,

चरणो की शरण मोहि राख मुरारी ।

पहली आरती उन मुन कीजे,

 मन बच करम चरण चित्त दीजै ।।1।।

 दूसरी आरती अनहद बाजा,

 सरवण सुना प्रभु शब्द राजा।।2।।

तीसरी आरती कंठासुर गावै,

नवधा भक्ति प्रभू प्रेम रस पावै ।।3।।

चौथी आरती हिंदी में पूजा,

प्रेम मुदित मन से कहो, राम राम राम: भजन (Prem Mudit Mann Se Kaho, Ram Ram Ram)

तेरे नाम का दीवाना, तेरे द्वार पे आ गया है: भजन (Tere Naam Ka Diwana Tere Dwar Pe Aa Gaya Hai)

एक तू ही है मेरा, बाकी सब है वहम: भजन (Ek Tu Hi Hai Mera Baki Sab Hai Veham)

 आतम देव प्रभू और नहीं दूजा ।।4।।

पांचवी आरती प्रेम प्रकाश, 

कहत उधो साधोचरण निवासा ।

आरती 3: आरती कीजै श्री जंभ गुरू देवा

आरती कीजै श्री जंभ गुरू देवा,

पार न पावे बाबो अलख अभेवा ।

पहली आरती परम गुरू आये,

तेज पुंज काया दरसायै ।।1।।

 दूसरी आरती देव विराजे,

अनंत कला सतगुरु छवि छाजै ।।2।।

 तीसरी आरती त्रिसूल ढापे,

क्षुधा तिसना निदंरा नहीं व्यापे ।।3।।

 चौथी आरती चहूं दिस परसे,

पेट पूठ नहीं सनमुख दरसे ।।4।।

 पांचवी आरती केवल भगवंता,

शब्द सुकन्या योजना परियंता ।।5।।

 उदो दास आरती गावै,

 जंभ गुरूजी को पार न पावै ।।6।।

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