श्री सीता आरती (Shree Sita Mata Aarti)

आरती श्री जनक दुलारी की ।
सीता जी रघुवर प्यारी की ॥
जगत जननी जग की विस्तारिणी,
नित्य सत्य साकेत विहारिणी,
परम दयामयी दिनोधारिणी,
सीता मैया भक्तन हितकारी की ॥

आरती श्री जनक दुलारी की ।
सीता जी रघुवर प्यारी की ॥

सती श्रोमणि पति हित कारिणी,
पति सेवा वित्त वन वन चारिणी,
पति हित पति वियोग स्वीकारिणी,
त्याग धर्म मूर्ति धरी की ॥

आरती श्री जनक दुलारी की ।
सीता जी रघुवर प्यारी की ॥

विमल कीर्ति सब लोकन छाई,
नाम लेत पवन मति आई,
सुमीरात काटत कष्ट दुख दाई,
शरणागत जन भय हरी की ॥

हे गजानन पधारो: भजन (Hey Gajanan Padharo )

हम शरण तेरी आए है झुकाने को ये सर - भजन (Hum Sharan Teri Aaye Hai Jhukane Ko Ye Sar)

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 11 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 11)

आरती श्री जनक दुलारी की ।
सीता जी रघुवर प्यारी की ॥

Picture of Sandeep Bishnoi

Sandeep Bishnoi

Leave a Comment