सूरज चंदा तारे उसके,
धरती आसमान,
दिन भी उसका रात भी उसकी,
उसकी सुबह और शाम,
राम की राम ही जाने राम ॥
संत जनो की रक्षा हेतु,
धनुष राम ने धारा,
दुष्टों का संहार किया,
भक्तों को पार उतारा,
पहले था ना आगे होगा,
जैसे राजा राम,
दिन भी उसका रात भी उसकी,
उसकी सुबह और शाम,
राम की राम ही जाने राम ॥
आदर और सत्कार बड़ों का,
मात पिता की पूजा,
प्राण जाए पर वचन ना जाए,
नहीं उदाहरण दूजा,
नहीं भाई कोई लक्ष्मण जैसा,
यति सदी बलवान,
दिन भी उसका रात भी उसकी,
उसकी सुबह और शाम,
राम की राम ही जाने राम ॥
मर्यादा पुरुषोत्तम की है,
लीला अजब न्यारी,
चरणों ठोकर से प्रभु की,
शिला हो गयी नारी,
राम कथा से ही मिल जाये,
सबको मुक्ति धाम,
दिन भी उसका रात भी उसकी,
उसकी सुबह और शाम,
राम की राम ही जाने राम ॥
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सूरज चंदा तारे उसके,
धरती आसमान,
दिन भी उसका रात भी उसकी,
उसकी सुबह और शाम,
राम की राम ही जाने राम ॥