विद्यां ददाति विनयं,
विनयाद् याति पात्रताम् ।
पात्रत्वात् धनमाप्नोति,
धनात् धर्मं ततः सुखम् ॥
हिन्दी भावार्थ:
विद्या विनय देती है, विनय से पात्रता आती है, पात्रता से धन आता है, धन से धर्म होता है, और धर्म से सुख प्राप्त होता है।
जिसने भी माँ की चौखट पे, सर को झुका लिया: भजन (Jisne Bhi Maa Ki Chaukhat Pe Sar Ko Jhuka Liya)
माँ की लाल रे चुनरिया: भजन (Maa Ki Laal Re Chunariya)
काशी नगरी से, आए है शिव शम्भू: भजन (Kashi Nagri Se Aaye Hai Shiv Shambhu)
Post Views: 80