विद्यां ददाति विनयं,
विनयाद् याति पात्रताम् ।
पात्रत्वात् धनमाप्नोति,
धनात् धर्मं ततः सुखम् ॥
हिन्दी भावार्थ:
विद्या विनय देती है, विनय से पात्रता आती है, पात्रता से धन आता है, धन से धर्म होता है, और धर्म से सुख प्राप्त होता है।
पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 6 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 6)
लोहट-हांसा को जाम्भोजी का अंतिम उपदेश
हे करुणा मयी राधे, मुझे बस तेरा सहारा है - भजन (Hey Karuna Mayi Radhe Mujhe Bas Tera Sahara Hai)
Post Views: 278