यह दीप प्रज्वलन का मंत्र है, तथा इसे दीप दर्शन मंत्र भी कहा जा सकता है।
शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा ।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योति नमोऽस्तुते ॥
दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दन: ।
दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तुते ॥
जो शुभ करता है, कल्याण करता है, आरोग्य रखता है, धन संपदा देता है और शत्रु बुद्धि का विनाश करता है, ऐसे दीप की रोशनी को मैं नमन करता हूँ॥
दर्शन की प्यासी नजरिया, मैया: भजन (Darshan Ki Pyasi Najariya Maiya)
श्री रुक्मणी मंदिर प्रादुर्भाव पौराणिक कथा (Rukmani Mandir Pauranik Katha)
Post Views: 364