गुरु नानक आरती (Guru Nanak Aarti)

श्री गुरु नानक देव आरती ॥
धनासरी महला १ आरती ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
गगन मै थालु रवि चंदु दीपक
बने तारिका मंडल जनक मोती ॥

धूपु मल आनलो पवणु चवरो करे
सगल बनराइ फूलंत जोती ॥

कैसी आरती होइ भव खंडना तेरी आरती ॥
अनहता सबद वाजंत भेरी रहाउ ॥

सहस तव नैन नन नैन है तोहि कउ
सहस मूरति नना एक तोही ॥

सहस पद बिमल नन एक पद गंध बिनु
सहस तव गंध इव चलत मोही ॥

सभ महि जोति जोति है सोइ ॥
तिस कै चानणि सभ महि चानणु होइ ॥

गुर साखी जोति परगटु होइ ॥
जो तिसु भावै सु आरती होइ ॥

ओ मेरे गोपाल कन्हैया, मोहन मुरली वाले: भजन (O Mere Gopal Kanhaiya Mohan Murliwale)

राम भजा सो जीता जग में - भजन (Ram Bhaja So Jeeta Jag Me)

जिनका मैया जी के चरणों से संबंध हो गया: भजन (Jinka Maiya Ji Ke Charno Se Sabandh Hogaya)

हरि चरण कमल मकरंद लोभित मनो
अनदिनो मोहि आही पिआसा ॥

कृपा जलु देहि नानक सारिंग
कउ होइ जा ते तेरै नामि वासा ॥

गगन मै थालु, रवि चंदु दीपक बने,
तारका मंडल, जनक मोती।
धूपु मलआनलो, पवण चवरो करे,
सगल बनराइ फुलन्त जोति॥
कैसी आरती होइ॥
भवखंडना तेरी आरती॥
अनहत सबद बाजंत भेरी॥

Sandeep Bishnoi

Sandeep Bishnoi

Leave a Comment