Katha

पद्मिनी एकादशी व्रत कथा (Padmini Ekadashi Vrat Katha)

पद्मिनी एकादशी का महत्त्व: धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे कि, हे जनार्दन! आपने सभी एकादशियों का विस्तारपूर्वक वर्णन कर मुझे सुनाया, अतः अब आप कृपा करके

पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 19 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 19)

श्रीसूत जी बोले, ‘हे तपस्वियो! इस प्रकार कहते हुए श्रीनारायण को मुनिश्रेष्ठ नारद मुनि ने मधुर वचनों से प्रसन्न करके कहा। हे ब्रह्मन्‌!तपोनिधि सुदेव ब्राह्मण

पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 20 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 20)

सूतजी बोले, ‘हे विप्रो! नारायण के मुख से राजा दृढ़धन्वा के पूर्वजन्म का वृत्तान्त श्रवणकर अत्यन्त तृप्ति न होने के कारण नारद मुनि ने श्रीनारायण

पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 21 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 21)

बाल्मीकि मुनि बोले, ‘इसके बाद फिर प्रतिभा की अनलोत्तारण क्रिया करके प्राणप्रतिष्ठा करे। अन्यथा यदि प्राणप्रतिष्ठा नहीं करता है तो वह प्रतिमा धातु ही कही

पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 22 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 22)

दृढ़धन्वा राजा बोला, ‘हे तपोधन! पुरुषोत्तम मास के व्रतों के लिए विस्तार पूर्वक नियमों को कहिये। भोजन क्या करना चाहिये? और क्या नहीं करना चाहिये?

परमा एकादशी व्रत कथा (Parama Ekadashi Vrat Katha)

परमा एकादशी का महत्त्व: अर्जुन ने कहा, हे कमलनयन! आपने शुक्ल पक्ष की एकादशी का विस्तारपूर्वक वर्णन कर मुझे सुनाया, अतः अब आप कृपा करके

पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 24 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 24)

मणिग्रीव बोला, ‘हे द्विज! विद्वानों से पूर्ण और सुन्दर चमत्कारपुर में धर्मपत्नी के साथ में रहता था। धनाढय, पवित्र आचरण वाला, परोपकार में तत्पर मुझको

Picture of Sandeep Bishnoi

Sandeep Bishnoi