श्री राम स्तुति: नमामि भक्त वत्सलं (Namami Bhakt Vatsalan)
श्री अत्रि मुनि द्वारा रचित श्रीराम-स्तुति रामायण के अरण्यकाण्ड से संबंधित है। नमामि भक्त वत्सलं । कृपालु शील कोमलं ॥ भजामि ते पदांबुजं । अकामिनां
श्री अत्रि मुनि द्वारा रचित श्रीराम-स्तुति रामायण के अरण्यकाण्ड से संबंधित है। नमामि भक्त वत्सलं । कृपालु शील कोमलं ॥ भजामि ते पदांबुजं । अकामिनां
राम रस बरस्यो री, आज म्हारे आंगन में । जाग गये सब सोये सपने, सभी पराये हो गये अपने, लगे प्रेम की माला जपने, लगे
मैया री मैया एक खिलौना- छोटा सा दिलवा दे चाबी भरकर जब छोड़ तो एक ही रटन लगा दे बोले श्याम श्याम श्याम बोले श्याम
राम बिना नर ऐसे जैसे, अश्व लगाम बिना । जल जाये जिह्वा पापिनी, राम के बिना । जल जाये जिह्वा पापिनी, राम के बिना ।
राम जपते रहो, काम करते रहो । वक्त जीवन का, यूँही निकल जायेगा । अगर लगन सच्ची, भगवन से लग जायेगी । तेरे जीवन का
जिस दिल में आपकी याद रहे प्रभु दिल मेरा वो दिल करदो राही न सही मंजिल की तरफ राही की तरफ मंजिल करदो मन में
पंथ निहारत, डगर बहारथ, होता सुबह से शाम, कहियो दर्शन दीन्हे हो, भीलनियों के राम । पंथ निहारत, डगर बहारथ, होता सुबह से शाम, कहियो
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