
श्री गायत्री माता की आरती (Gayatri Mata Ki Aarti)
जयति जय गायत्री माता,जयति जय गायत्री माता ।सत् मारग पर हमें चलाओ,जो है सुखदाता ॥॥ जयति जय गायत्री माता..॥आदि शक्ति तुम अलख निरंजन जगपालक कर्त्री
जयति जय गायत्री माता,जयति जय गायत्री माता ।सत् मारग पर हमें चलाओ,जो है सुखदाता ॥॥ जयति जय गायत्री माता..॥आदि शक्ति तुम अलख निरंजन जगपालक कर्त्री
आरती श्री रामायण जी की ।कीरति कलित ललित सिय पी की ॥गावत ब्रहमादिक मुनि नारद ।बाल्मीकि बिग्यान बिसारद ॥शुक सनकादिक शेष अरु शारद ।बरनि पवनसुत
श्री राम नवमी, विजय दशमी, सुंदरकांड, रामचरितमानस कथा और अखंड रामायण के पाठ में प्रमुखता से की जाने वाली आरती।आरती कीजै रामचन्द्र जी की।हरि-हरि दुष्टदलन
ॐ जय जानकीनाथा,जय श्री रघुनाथा ।दोउ कर जोरें बिनवौं,प्रभु! सुनिये बाता ॥ ॐ जय..॥तुम रघुनाथ हमारे,प्राण पिता माता ।तुम ही सज्जन-संगी,भक्ति मुक्ति दाता ॥ ॐ
ॐ जय जय शनि महाराज,स्वामी जय जय शनि महाराज ।कृपा करो हम दीन रंक पर,दुःख हरियो प्रभु आज ॥॥ ॐ जय जय शनि महाराज ॥सूरज
चेटी चंड जैसे त्यौहारों तथा सिंधी समाज के अन्य कार्यक्रमों में सबसे ज्यादा गाई जाने वाली आरती। भगवान झूलेलाल के प्रत्येक मंदिर में यह आरती
जय काली माता, माँ जय महा काली माँ।रतबीजा वध कारिणी माता।सुरनर मुनि ध्याता, माँ जय महा काली माँ॥दक्ष यज्ञ विदवंस करनी माँ शुभ निशूंभ हरलि।मधु
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