जाम्भोजी का भ्रमण भाग 5
जाम्भोजी का भ्रमण भाग 5 राजा ने प्रार्थना करते हुए कहा- हे देव। आप अपने शिष्यों के सहित
जाम्भोजी का भ्रमण भाग 5 राजा ने प्रार्थना करते हुए कहा- हे देव। आप अपने शिष्यों के सहित
जाम्भोजी का भ्रमण भाग 4 एक सम वीसनोई गंगापार पूरब का अरज कोवी। जांभाजी ! तुरकाणी को जोर है।
जाम्भोजी का भ्रमण भाग 3 जय हो लोहट के लाला की। जो हमारे जैसे दास पर कृपालु हुए है।
जाम्भोजी का भ्रमण भाग 2 इब्राहिम ने कहा- यदि अंदर बंद नहीं कर सकते तो इस फकीर की
जाम्भोजी का भ्रमण भाग 1 पश्चिम देशों का भ्रमण करके श्री देवजी समराथल पर विराजमान हुऐ।
भक्त रतने का गुरु शरण में आना हे शिष्य। अब मैं तुम्हे एक कथा जो गंगा के समान
मौनी बालक की कथा एक विसनोवण एक डावड़ो ले आयी। जाम्भाजी | ओह मोटो हुवो, अजु बोल
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