झाली रानी का जाम्बा सरोवर पर आना
झाली रानी का जाम्बा सरोवर पर आना नाथोजी उवाच- हे शिष्य जाम्बोलाय की महिमा को चित्तौड़गढ़ के राणा सांगा एवं उनकी माता
झाली रानी का जाम्बा सरोवर पर आना नाथोजी उवाच- हे शिष्य जाम्बोलाय की महिमा को चित्तौड़गढ़ के राणा सांगा एवं उनकी माता
. गंगा की धारा का समराथल पर आगमन गंगा की धारा का समराथल पर आगमन (Samrathl par
जाम्बा सरोवर तीर्थ का इतिहास ( Jamba Sarovar History ) वील्हो उवाचः- हे गुरुदेव आपने पीछे बतलाया था कि जाम्भोजी ने गंगा को सम्भराथल
खेजड़ली में 363 स्त्री पुरुष का बलिदान जाम्भाणी साहित्य में अनेको कवि हुऐ है, जिन्होंने काव्य रचना में अपना महत्वपूर्ण योगदान
★ आधुनिककालीन समराथल धोरा ★ Aaj Ka Samarathal Dhora कभी वह युग था जब सम्भराथल पर जल भी उपलब्ध
समराथल पर गंगा का आगमन …….. समराथल कथा भाग 12 समराथल पर गंगा का आगमन मुमुक्षुजनों की जमात से घिरे हुए जम्भदेव
बिश्नोई पंथ ओर प्रहलाद भाग 2 उन्होंने पूछा- देवराज । यह क्या करने जा रहे हो। इस बेचारी अबला कयाधू को कहां ले जा रहे
जाम्भोजी का भ्रमण भाग 3 जय हो लोहट के लाला की। जो हमारे जैसे दास पर कृपालु हुए है।
प्रश्न 101. गुरुदेव ! आपने जो अन्न बांटा वो अन्न कहां से लाए ? उत्तर- रणधीर मुझे कोई भी वस्तु लाने में विचार करने की
म्हारे घर आये जम्भ भगवान जम्भेश्वर भजन Lyrics म्हारे घर आए जम्भ भगवान सोने रो सूरज उगियो सोहन कलश गंगा जल भरियो सखियाँ मंगल गाय
भूल बिसर मत जाई कन्हैया, मेरी ओड़ निभाना जी | मोर मुकुट पीताम्बर सोहे, कुंडल झलकत काना जी | वृन्दावन की कुञ्ज गलिन में,मोहन वंशी
प्रश्न 123. गुरुदेव ! आपके मंत्र कहां-कहां काम आयेंगे ? रणधीर ! मेरे मंत्र सब प्रकार के दुःख मिटाने के काम आयेंगे। उत्तर – जैसे-
प्रश्न 71. गुरुदेव ! आप सूतल लोक में कितने समय तक रहे ? उत्तर- रणधीर ! मैं सूतल लोक में चालीस दिनों तक रहा सूतल
प्रश्न 71. गुरुदेव ! आप सूतल लोक में कितने समय तक रहे ? उत्तर- रणधीर ! मैं सूतल लोक में चालीस दिनों तक रहा सूतल
प्रश्न 51. गुरुदेव ! आपके प्रथम शब्दोपदेश का अर्थ हम छोटी बुद्धि के लोग कुछ समझे नहीं, आप कृपा करके हमें समझाइये ? उत्तर- रणधीर
प्रश्न 24. गुरुदेव ! परमात्मा व जीवात्मा में क्या अन्तर है ? उत्तर – रणधीर ! परमात्मा व जीवात्मा में सत्ता रूप में कोई भेद
प्रश्न 24. गुरुदेव ! परमात्मा व जीवात्मा में क्या अन्तर है ? उत्तर – रणधीर ! परमात्मा व जीवात्मा में सत्ता रूप में कोई भेद
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