जटा कटा हसं भ्रमभ्रमन्नि लिम्प निर्झरी,
विलोलवी चिवल्लरी विराजमान मूर्धनि।
धगद्धगद्धग ज्ज्वल ल्ललाट पट्ट पावके,
किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम॥
कौन-है वो, कौन-है वो, कहाँ से वो आया
चारों दिशायों में, तेज़ सा वो छाया
उसकी भुजाएँ बदलें कथाएँ,
भागीरथी तेरे तरफ शिवजी चलें
देख ज़रा ये विचित्र माया
धरा धरेन्द्र नंदिनी विलास बन्धु बन्धुर,
स्फुर द्दिगन्त सन्तति प्रमोद मान मानसे।
कृपा कटाक्ष धोरणी निरुद्ध दुर्धरापदि,
क्वचि द्दिगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि॥
जटा भुजङ्ग पिङ्गल स्फुरत्फणा मणिप्रभा,
कदम्ब कुङ्कुम द्रवप्रलिप्त दिग्व धूमुखे।
मदान्ध सिन्धुर स्फुरत्त्व गुत्तरी यमे दुरे,
मनो विनोद मद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि॥
तुम भी बोलो गणपति, और हम भी बोले गणपति: भजन (Tum Bhi Bolo Ganpati Aur Hum Bhi Bole Ganpati)
गणपति राखो मेरी लाज - भजन (Ganpati Rakho Meri Laaj)
जम्भेश्वर आरती: ओ३म् शब्द सोऽहं ध्यावे (Jambheshwar Aarti Om Shabd Sohan Dhyave)
मूल श्रीरावण कृतम् शिव ताण्डव स्तोत्रम