म्हारी बिनती सुणो थे हनुमान,
धरुँ मैं थारो ध्यान,
बेगा सा आओ बालाजी,
बेगा सा आओ बालाजी,
भगतां की सुणज्यो बालाजी ॥
थे ना सुणस्योतो कुण सुणसी,
म्हारै मन री बात,
हो असहाय में थानै पुकारा,
सर पे धरो थे म्हारे हाथ,
धरुँ में थारो ध्यान,
बेगा सा आओ बालाजी,
बेगा सा आओ बालाजी,
भगतां की सुणज्यो बालाजी ॥
घट घट की यो जाणे सारी,
लाल लंगोटे वालो,
भगतां का थे कष्ट मिटाया,
म्हारा भी संकट थे ही टालो,
धरुँ में थारो ध्यान,
बेगा सा आओ बालाजी,
बेगा सा आओ बालाजी,
भगतां की सुणज्यो बालाजी ॥
रामचन्द्र जी का काज संवारिया,
पवनपुत्र बलवान,
म्हारा भी थे काज संवारो,
सालासर वाला हनुमान,
धरुँ में थारो ध्यान,
बेगा सा आओ बालाजी,
बेगा सा आओ बालाजी,
भगतां की सुणज्यो बालाजी ॥
भक्त शिरोमणि रामदुत ने,
सिमरु बारम्बार,
‘केशव’ थारें चरण पड़यो है,
सांचो है थारो दरबार,
धरुँ में थारो ध्यान,
बेगा सा आओ बालाजी,
बेगा सा आओ बालाजी,
भगतां की सुणज्यो बालाजी ॥
मधुराष्टकम्: अधरं मधुरं वदनं मधुरं (Madhurashtakam Adhram Madhuram Vadnam Madhuram)
शिव में मिलना हैं: भजन (Shiv Mein Milna Hai)
म्हारी बिनती सुणो थे हनुमान,
धरुँ मैं थारो ध्यान,
बेगा सा आओ बालाजी,
बेगा सा आओ बालाजी,
भगतां की सुणज्यो बालाजी ॥