श्री रामायण प्रारम्भ स्तुति,
जो सुमिरत सिधि होइ गन नायक करिबर बदन ॥
करउ अनुग्रह सोइ बुद्धि रासि सुभ गुन सदन ॥ 1 ॥
मूक होइ बाचाल पंगु चढइ गिरिबर गहन ॥
जासु कृपाँ सो दयाल द्रवउ सकल कलि मल दहन ॥ 2 ॥
नील सरोरुह स्याम तरुन अरुन बारिज नयन ॥
करउ सो मम उर धाम सदा छीरसागर सयन ॥ 3 ॥
कुंद इंदु सम देह उमा रमन करुना अयन ॥
जाहि दीन पर नेह करउ कृपा मर्दन मयन ॥ 4 ॥
श्री तुलसी स्तोत्रम् (Shri Tulsi Stotram)
शुरू हो रही है राम कहानी: भजन (Shuru Ho Rahi Hai Ram Kahani)
अजब है तेरी माया, इसे कोई समझ ना पाया - भजन (Ajab Hai Teri Maya Ise Koi Samajh Na Paya)
बंदउ गुरु पद कंज कृपा सिंधु नररूप हरि ॥
महामोह तम पुंज जासु बचन रबि कर निकर ॥ 5 ॥
Post Views: 321