जहाँ ले चलोगे, वही मैं चलूँगा,
जहाँ नाथ रख लोगे, वही मैं रहूँगा ।
ये जीवन समर्पित, चरण में तुम्हारे,
तुम्ही मेरे सर्वस्व, तुम्ही प्राण प्यारे,
तुम्हे छोड़कर नाथ, किससे रहूँगा ।
जहाँ ले चलोगे, वही मैं चलूँगा,
जहाँ नाथ रख लोगे, वही मैं रहूँगा ॥
दयानाथ दयानिधि, मेरी अवस्था,
तेरे ही हाथो में, मेरी व्यवस्था,
कहना होगा जो भी, तुमसे रहूँगा ।
जहाँ ले चलोगे, वही मैं चलूँगा,
जहाँ नाथ रख लोगे, वही मैं रहूँगा ॥
ना कोई शिकायत, ना कोई अर्जी,
कहलो करालो, जो तेरी मर्जी,
सहाओगे जो भी, हंस के सहूँगा ।
जहाँ ले चलोगे, वही मैं चलूँगा,
जहाँ नाथ रख लोगे, वही मैं रहूँगा ॥
पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 25 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 25)
मेरी विपदा टाल दो आकर: भजन (Meri Vipda Taal Do Aakar)
पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 4 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 4)
जहाँ ले चलोगे, वही मैं चलूँगा,
जहाँ नाथ रख लोगे, वहीं मैं रहूँगा ।