हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे ।
अब तो जीवन हारे, प्रभु शरण हैं तिहारे ॥
हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे… हे गोविंद ॥
नीर पिवन हेतु गयो सिन्धू के किनारे,
सिन्धु बीच बसत ग्राह चरण धरि पछारे,
हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे ॥
चार पहर युद्ध भयो ले गयो मझधारे,
नाक कान डूबन लागे कृष्ण को पुकारे,
हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे ॥
द्वारिका में शब्द गयो शोर भयो द्वारे,
शंख चक्र गदा पद्म गरुड़ तजि सिधारे,
हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे ॥
मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे: भजन (Meri Jholi Chhoti Padgayi Re Itna Diya Meri Mata)
श्री तुलसी षोडशकनाम स्तोत्रम् (Shri Tulasi Shodashakanam Strotam)
सूर कहे श्याम सुनो शरण हैं तिहारे,
अबकी बेर पार करो नन्द के दुलारे,
हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे ॥
॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥
Post Views: 160