हर ग्यारस खाटू में,
अमृत जो बरसता है,
उस अमृत को पीने,
हर भक्त पहुँचता है,
हर ग्यारस खाटु में,
अमृत जो बरसता है ॥
यहाँ भजनों की गंगा,
अमृत सी बहती है,
सबके दिल की बातें,
बाबा से कहती है,
इन बूंदों को पीकर,
हर भक्त थिरकता है,
उस अमृत को पीने,
हर भक्त पहुँचता है,
हर ग्यारस खाटु में,
अमृत जो बरसता है ॥
भजनों की ये बुँदे,
जब कान में पड़ जाए,
हर प्रेमी बाबा का,
मेरे श्याम से जुड़ जाए,
फिर होश रहे ना उसे,
हँसता है सिसकता है,
उस अमृत को पीने,
हर भक्त पहुँचता है,
हर ग्यारस खाटु में,
अमृत जो बरसता है ॥
ये भजनों की गंगा,
हमें श्याम से मिलवाए,
यहाँ डुबकी लगाने को,
मेरा श्याम चला आए,
अमृत ये भजनों का,
जब जब भी छलकता है,
उस अमृत को पीने,
हर भक्त पहुँचता है,
हर ग्यारस खाटु में,
अमृत जो बरसता है ॥
इस अमृत में प्यारे,
तुम जहर नहीं घोलो,
कहता ‘रोमी’ तोलो,
तुम तोल के फिर बोलो,
इसे पावन रहने दो,
विश्वास भटकता है,
उस अमृत को पीने,
हर भक्त पहुँचता है,
हर ग्यारस खाटु में,
अमृत जो बरसता है ॥
अपना है सेठ गणपति लाला: भजन (Apna Hai Seth Ganpati Lala )
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना! (Kaise Jiun Main Radha Rani Tere Bina)
जरी की पगड़ी बांधे, सुंदर आँखों वाला: भजन (Jari Ki Pagri Bandhe Sundar Ankhon Wala)
हर ग्यारस खाटू में,
अमृत जो बरसता है,
उस अमृत को पीने,
हर भक्त पहुँचता है,
हर ग्यारस खाटु में,
अमृत जो बरसता है ॥
आरती कुंजबिहारी की | आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन | श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं | आरती श्री बाल कृष्ण जी की | ॐ जय जगदीश हरे | मधुराष्टकम्: धरं मधुरं वदनं मधुरं | कृष्ण भजन | अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं | श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी