ब्रजराज ब्रजबिहारी, गोपाल बंसीवारे
इतनी विनय हमारी, वृन्दा-विपिन बसा ले
कितने दरों पे भटके, कितने ही दर बनाये
अब तेरे हो रहें हैं, जायें न हम निकाले
ब्रजराज ब्रजबिहारी, गोपाल बंसीवारे
जोड़ी तेरी हमारी कैसी रची विधाता
जो तुम हो तन के काले, हम भी हैं मन के काले
ब्रजराज ब्रजबिहारी, गोपाल बंसीवारे
लाखों को अपना समझे, लाखों के हो लिये हम
अब तेरे हो रहे हैं, अपना हमें बना ले
ब्रजराज ब्रजबिहारी, गोपाल बंसीवारे
चली जा रही है उमर धीरे धीरे - भजन (Chali Ja Rahi Hai Umar Dheere Dheere)
जिस घर में मैया का, सुमिरन होता: भजन (Jis Ghar Mein Maiya Ka Sumiran Hota)
मैं दो-दो माँ का बेटा हूँ: भजन (Main Do-Do Maa Ka Beta Hun)
राज़ी तेरी रज़ा में, अपनी बनी या बिगड़े
नाचेंगे हम तो नटवर जैसा हमें नचा ले
ब्रजराज ब्रजबिहारी, गोपाल बंसीवारे
इतनी विनय हमारी, वृन्दा-विपिन बसा ले
आरती कुंजबिहारी की | आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन | श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं | आरती श्री बाल कृष्ण जी की | ॐ जय जगदीश हरे | मधुराष्टकम्: धरं मधुरं वदनं मधुरं | कृष्ण भजन | अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं | श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी