भरोसा कर तू ईश्वर पर,
तुझे धोखा नहीं होगा ।
यह जीवन बीत जायेगा,
तुझे रोना नहीं होगा ॥
कभी सुख है कभी दुख है,
यह जीवन धूप-छाया है ।
हँसी में ही बिता डालो,
बिताना ही यह माया है ॥
जो सुख आवे तो हंस लेना,
जो दुःख आवे तो सह लेना ।
न कहना कुछ कभी जग से,
प्रभु से ही तू कह लेना ॥
यह कुछ भी तो नहीं जग में,
तेरे बस कर्म की माया ।
तू खुद ही धूप में बैठा,
लखे निज रूप की छाया ॥
शुक्रवार संतोषी माता व्रत कथा (Shukravar Santoshi Mata Vrat Katha)
श्री शङ्कराचार्य कृतं - शिव स्वर्णमाला स्तुति (Shiv Swarnamala Stuti)
आईं महादेवी अवतार, भवानी मोरे अंगना में: भजन (Aayi Mahadevi Avtar Bhawani More Angna Main)
कहां पे था, कहां तू था,
कभी तो सोच ए बन्दे !
झुकाकर शीश को कह दे,
प्रभु वन्दे ! प्रभु वन्दे ॥
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