बृन्दावन का कृष्ण कन्हैया
सब की आँखों का तारा
मन ही मन क्यों जले राधिका
मोहन तो है सब का प्यारा
॥ बृन्दावन का कृष्ण कन्हैया..॥
जमना तट पर नन्द का लाला
जब जब रास रचाये रे
तन मन डोले कान्हा ऐसी
बंसी मधुर बजाये रे
सुध-बुध भूली खड़ी गोपियाँ
जाने कैसा जादू डारा
॥ बृन्दावन का कृष्ण कन्हैया..॥
रंग सलोना ऐसा जैसे
छाई हो घट सावन की
ऐ री मैं तो हुई दीवानी
मनमोहन मन भावन की
तेरे कारण देख बाँवरे
छोड़ दिया मैं ने जग सारा
बृन्दावन का कृष्ण कन्हैया
सब की आँखों का तारा
मन ही मन क्यों जले राधिका
मोहन तो है सब का प्यारा
चौसठ जोगणी रे भवानी: राजस्थानी भजन (Chausath Jogani Re Bhawani, Dewaliye Ramajay)
चौसठ जोगणी रे भवानी: राजस्थानी भजन (Chausath Jogani Re Bhawani, Dewaliye Ramajay)
चौसठ जोगणी रे भवानी: राजस्थानी भजन (Chausath Jogani Re Bhawani, Dewaliye Ramajay)
Post Views: 223