हे रोम रोम मे बसने वाले राम,
जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी, मे तुझ से क्या मांगूं।
आप का बंधन तोड़ चुकी हूं, तुझ पर सब कुछ छोड़ चुकी हूं ।
नाथ मेरे मै, क्यूं कुछ सोचूं, तू जाने तेरा काम॥
जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी, मे तुझ से क्या मांगूं।
॥ हे रोम रोम मे बसने वाले राम…॥
तेरे चरण की धुल जो पायें, वो कंकर हीरा हो जाएँ ।
भाग्य मेरे जो, मैंने पाया, इन चरणों मे ध्यान॥
जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी, मे तुझ से क्या मांगूं।
॥ हे रोम रोम मे बसने वाले राम…॥
भेद तेरा कोई क्या पहचाने, जो तुझ सा को वो तुझे जाने ।
तेरे किये को, हम क्या देवे, भले बुरे का नाम॥
जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी, मे तुझ से क्या मांगूं।
॥ हे रोम रोम मे बसने वाले राम…॥
पार करेंगे नैया भज कृष्ण कन्हैया - भजन (Paar Karenge Naiya Bhaj Krishna Kanhaiya)
अरे आये रे आये नवरात: भजन (Are Aaye Re Aaye Navrat)
हरे राम हरे रामा, जपते थे हनुमाना - भजन (Hare Ram Hare Rama Japte The Hanumana)
हे रोम रोम मे बसने वाले राम,
जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी, मे तुझ से क्या मांगूं।