हर बार तेरे दर पे,
नव गीत सुनाएंगे,
ढांढण वाली सुन ले,
तेरी महिमा गाएंगे,
हर बार तेरे दर पें,
नव गीत सुनाएंगे ॥
तुझसे मिलने से हमें,
रोकोगी भला कैसे,
कदमों में लिपट जाए,
वृक्षों से लता जैसे,
सपनों में मिली माँ को,
हम सामने पाएंगे,
हर बार तेरे दर पें,
नव गीत सुनाएंगे ॥
होगी तृष्णा पूरी,
प्यासी इन अखियन की,
माथे से लगा लेंगे,
धूलि तेरे चरणन की,
चरणामृत लेकर माँ,
हम भव तर जाएंगे,
हर बार तेरे दर पें,
नव गीत सुनाएंगे ॥
सदियों से सदा हमने,
तेरी आस लगाई है,
पागल मनवा कहता,
माँ तुमको भुलाई है,
पाकर के तेरे दर्शन,
मन को समजाएंगे,
हर बार तेरे दर पें,
नव गीत सुनाएंगे ॥
चुनकर वन उपवन से,
पुष्पों की मधुर लड़ियाँ,
एक हार बनाया है,
बीती है कई घड़ियाँ,
यह पुष्प भजन माला,
तुझे भेट चढ़ाएंगे,
हर बार तेरे दर पें,
नव गीत सुनाएंगे ॥
आसरो दादी थारो है: भजन ( Aasro Dadi Tharo Hai )
मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे: भजन (Meri Jholi Chhoti Padgayi Re Itna Diya Meri Mata)
सुनो सुनो, एक कहानी सुनो - भजन (Suno Suno Ek Kahani Suno)
हर बार तेरे दर पे,
नव गीत सुनाएंगे,
ढांढण वाली सुन ले,
तेरी महिमा गाएंगे,
हर बार तेरे दर पें,
नव गीत सुनाएंगे ॥
दुर्गा चालीसा | आरती: जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी | आरती: अम्बे तू है जगदम्बे काली | महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् | माता के भजन