मोरे उज्जैन के राजा करो किरपा ॥
दोहा – महाकाल सो नाम नहीं,
और उज्जैन सो कोई धाम,
करले मेरे महाकाल की भक्ति,
तेरे हो जाए सब काम ॥
मोरे उज्जैन के राजा करो किरपा,
मोरे राजा महाराजा करो किरपा ॥
शीश गंग तन भस्मी धारी,
रूप अनुपम नंदी सवारी,
तेरी शरण में काल भी हारे,
तुम अनंत कई नाम तुम्हारे,
करो किरपा,
मोरें उज्जैन के राजा करो किरपा,
मोरे राजा महाराजा करो किरपा ॥
जिसके मन में शिव ना समाया,
उसने कहाँ फिर शिव को पाया,
फूल नहीं इसलिए भी लाया,
खुद को अर्पण करने आया,
करो किरपा,
मोरें उज्जैन के राजा करो किरपा,
मोरे राजा महाराजा करो किरपा ॥
श्री गुरु जम्भेश्वर से उतरकालिन समराथल .......(-: समराथल कथा भाग 14:-)
दत्त स्तवम स्तोत्र (Datta Stavam Stotram)
चन्द्रघंटा माँ से अर्जी मेरी: भजन (Chandraghanta Maa Se Arji Meri)
मैं एक दीपक भोले बाबा,
तुम इस दिप की ज्योति,
तेरे नाम से भगत की बाबा,
दुनिया जगमग होती,
अर्जी सुनो उज्जैन के राजा,
किस्मत मेरी खोटी,
करो किरपा,
मोरें उज्जैन के राजा करो किरपा,
मोरे राजा महाराजा करो किरपा ॥
मोरे उज्जैन के राजा करों किरपा,
मोरे राजा महाराजा करो किरपा ॥