रोम रोम में जिसके, श्री राम समाया है: भजन (Rom Rom Mein Jiske Shri Ram Samaya Hai)

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रोम रोम में जिसके,
श्री राम समाया है,
आज उसी बजरंग का,
ये उत्सव आया है ॥

श्लोक – उत्सव है बजरंगबली का,
खूब सजा दरबार,
जब साल सवाई आता है,
तब झूम उठे संसार ॥

रोम रोम में जिसके,
श्री राम समाया है,
आज उसी बजरंग का,
ये उत्सव आया है,
आज उसी बजरंग का,
ये उत्सव आया है,
देवो का भी जिसने,
रे साथ निभाया है,
पंचमुखी बजरंगी,
यही कहलाया है,
आज उसी बजरंग का,
ये उत्सव आया है ॥

शोभा दरबार की,
कितनी प्यारी लगे,
जो भी निहारे इन्हे,
उसकी किस्मत जगे,
विपदा सब कट जाती,
मिले रे धन माया है,
आज उसी बजरंग का,
ये उत्सव आया है ॥

संकट हरण बाबा,
भोले का अवतार है,
सालासर मेहंदीपुर,
इनका ही दरबार है,
आज अरज सुनने को,
हमारी आया है,
आज उसी बजरंग का,
ये उत्सव आया है ॥

जिसकी ये रक्षा करे,
वो जग में किससे डरे,
दुश्मन की तोड़े नली,
भक्तो के कष्ट हरे,
सब भक्तो का संकट,
इसी ने मिटाया है,
आज उसी बजरंग का,
ये उत्सव आया है ॥

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जो पाना हो भगवान को,
याद कर लेना हनुमान को,
बुद्धि का दाता है ये,
दूर कर देता अज्ञान को,
‘राजपाल’ हनुमत पे,
श्री राम की छाया है,
आज उसी बजरंग का,
ये उत्सव आया है ॥

रोम रोम में जिसके,
श्री राम समाया है,
आज उसी बजरंग का,
ये उत्सव आया है,
आज उसी बजरंग का,
ये उत्सव आया है,
देवो का भी जिसने,
रे साथ निभाया है,
पंचमुखी बजरंगी,
यही कहलाया है,
आज उसी बजरंग का,
ये उत्सव आया है ॥

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Sandeep Bishnoi

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