गणपति आज पधारे घर में,
मच गओ है ये हल्ला,
देखो आ गए है घर घर में,
पार्वती के लल्ला,
शिव गौरा की आंख के तारे,
दिखे हैं बड़े मुटल्ला,
देखो आ गए हैं घर घर में,
पार्वती के लल्ला ॥
अरे प्रथम पूज्य गजानन तुम हो,
देवों के सरदार,
तेरी कृपा हर दुःख मिट जावे,
ओ मेरे सरकार,
अरे तेरे आने से हो जावे,
गली गली ने हल्ला,
देखो आ गए हैं घर घर में,
पार्वती के लल्ला ॥
अरे लंबोदर गजबदन कहाते,
तेरी एक दंत पहचान,
तुझसा कोई जग में न दूजा,
है एसो तेरो नाम,
अरे रिद्धि सिद्धि के दाता तुम हो,
मां गौरा के लल्ला,
देखो आ गए हैं घर घर में,
पार्वती के लल्ला ॥
शाम सवेरे चारों पहर मैं,
तेरा नाम पुकारूँ,
पान सुपारी और लड्डू के,
मैं तोहे भोग लगाऊं,
मूषक वाहन पे लम्बोदर,
घूमें गली मोहल्ला,
देखो आ गए हैं घर घर में,
पार्वती के लल्ला ॥
सुख कर्ता दुख हर्ता तुम हो,
ओ मेरे गणराज,
तेरे दर पे जो आ जावे,
सफल करो सब काज,
विघ्नविनाशक विघ्नहरैय्या,
शिव गौरा के लल्ला,
देखो आ गए हैं घर घर में,
पार्वती के लल्ला ॥
योगिनी एकादशी व्रत कथा (Yogini Ekadashi Vrat Katha)
नटराज स्तुति - सत सृष्टि तांडव रचयिता (Sat Srushti Tandav Rachayita, Natraj Stuti)
गणपति आज पधारे घर में,
मच गओ है ये हल्ला,
देखो आ गए है घर घर में,
पार्वती के लल्ला,
शिव गौरा की आंख के तारे,
दिखे हैं बड़े मुटल्ला,
देखो आ गए हैं घर घर में,
पार्वती के लल्ला ॥