भजन :- सांवरा थारा नाम हजार,नाचे नंदलाल नचावे हरी की मैया,सुण सुण रे सत्संग री बाता,ओढ़ चूनर में गई सत्संग में

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सांवरा थारा नाम हजार
सांवरा थारा नाम हजार

भजन :- सांवरा थारा नाम हजार

सांवरिया थारा नाम हजार कैसे लिखू कू कं पत्री ।

कोई कहे कान्हो कोई कहे कृष्णो ।

कोई कहे मदन मुरार, कैसे लिखू कू कू पत्री।

कोई कहे देवकी को, कोई कहे यशोदा को ।

कोई कहे नंदजी रो लाल, कैसे लिखू कूं कूं पत्री ।

कोई कहे राधा पति, कोई कहे रूखमण पति ।

कोई कहे गोपियां को श्याम, कैसे लिखें कूं कूं पत्री ।

कोई कहे गोकुल रो कोई कहे मथुरा रो ।

कोई कहे द्वारका को नाथ, कैसे लिखें कूं कूं पत्री ।

नरसीजी के साचे सांवरा म्हारो बेडो लगा दे पार ।

कैसे लिखू कू कू पत्री।

भजन :- नाचे नंदलाल नचावे हरी की मैया

नाचे नंदलाल नचावे हरि की मैया ।

मथुरा में हरि जनम लियो, गोकुल मं पग धारो रे कन्हैया ।

रूणक-झूणक पग नुपूर बाजे, ठुमक-ठुमक पग धारे रे कन्हैया।

धोती ना पहरे पजामो ना पहरे, पीताम्बर को बड़े पहरे यो ।

टोपी ना आढ़े लाल फेता ना बांधे मोर मुकुट को बडो रे ओठयो ।

शाल न ओढ़े दुशाला न ओढे काली कमरिया रो बड़ो रे ओठयो।

दूध न भावे दही न भावे, माखन मिश्री रो बड़े खवैयो ।

खेन खेल खिलौना न खेले, बंसरी को लाला बड़ो रे बजैयो ।चन्द्र सखी भज बाल कृष्ण छवि हंस हंस कंठ हिकी मैया ।

भजन :- सुण सुण रे सत्संग री बाता

सुण सुण रे सत्संग री बाता, जनम सफर हो जावेला

राम सुमर सुख पावेला।।

श्री चित्रगुप्त आरती (Shri Chitragupt Aarti)

अच्युतस्याष्टकम् - अच्युतं केशवं रामनारायणं (Achyutashtakam Acyutam Keshavam Ramanarayanam)

दरश एक बार दिखाना रे, शिव शंकर डमरू वाले: भजन (Darsh Ek Bar Dikhana Re Shiv Shankar Damru Wale)

सत संगत में नितरो जाणे,सत शब्दों रो ध्यान लगानो सुणिया पाप झड़ जावेला …..1

पिया अमर हो जावेला ……….2

चेत-चेत नर चेतो करले राम नारी बादल भर ले,

खरची बिना काई खावे…….3

दास भक्त तने दे रहया हेला, अबके बिछड़या फेर ना मिलेला

पिछे घणो पछावेला …….4

भजन :- ओढ़ चूनर में गई सत्संग में

ओढ चुन्दड़ में गई सत्संग में,

सांवरिये भिंगोई म्हाने गहरे-गहरे रंग में ।

सोच रही मन में समझ रही मन में, 

थारो मारो न्याव हुवेलो सत्संग में ।

सतरी संगत में म्हारा गुरूजी विराजे,

कर-कर दर्शन भाई रे मगन में ।I1।।

सतरी री संगत में सहेल्या विराजे, 

गाय गाय हरि गुण भाई रे मगन में ।।2।।

सतरी री संगत में जोत जगत है,

कर कर दर्शन भाई में मगन में |।3||

बाई मीरा कहवे प्रभू गिरधर नागर,

लागी लगन मेरी हरि दर्शन में ।।4।।

सांवरा थारा नाम हजार,

Sandeep Bishnoi

Sandeep Bishnoi

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