आरती होजी समराथल देव, विष्णु हर की आरती देव ……..जम्भेश्वर भगवान आरती।

jambh bhakti logo

                                                                      *जम्भेश्वर भगवान आरती*

जम्भेश्वर भगवान आरती
जम्भेश्वर भगवान आरती

आरती हो जी समराथल देव, विष्णु हर की आरती जय।

 थारी करे हो हांसल दे माय, थारी करे हो भक्त लिव लाय ।

 सुर तेतीसां सेवक जांके, इन्द्रादिक सब देव ।

 ज्योति स्वरूपी आप निरंजन, कोई एक जानत भेव ॥१॥

 पूर्ण सिद्ध जम्भ गुरू स्वामी, अवतार केवलि एक।

 अन्धकार नाशन के कारण, हुए हुए आप अलेख ॥२॥

समराथल हरी आन विराजे, तिमिर भयो सब दूर।

 सांगा राणा और नरेशा, आये आये सकल हजूर ॥३॥

 समराथल की अद्भुत शोभा, वरणी न जात अपार ।

 सन्त मण्डली निकट विराजे, निर्गुण शब्द उचार ॥४॥

 वर्ष इक्यावन देव दया कर, कीन्हों पर उपकार ।

 ज्ञान ध्यान के शब्द सुनाये, तारण भव जल पार। ॥५॥

 पन्थ जाम्भाणों सत्य कर जाणों, यह खांडे की धार।

 सत प्रीत सों करो कीर्तन, इच्छा फल दातार ॥६॥

 आन पन्थ को चित से टारो, जम्भेश्वर उर ध्यान ।

 होम जाप शुद्ध भाव सों कीजो, पावो पद निर्वाण ॥७॥

 भक्त उद्धारण काज संवारण, श्री जम्भगुरू निज नाम।

 विघ्न निवारण शरण तुम्हारी, मंगल के सुख धाम ॥८॥

 लोहट नन्दन दुष्ट निकन्दन, श्री जम्भगुरू अवतार ।

 ब्रह्मानन्द शरण सतगुरू की, आवागवन निवार ॥९॥

 आरती हो जी समराथल देव, विष्णु हर की आरती जय ॥

बोलिए श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान की………. जय

आरती श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान की

जम्भेश्वर भगवान आरती

प्रभु मेरे मन को बना दे शिवाला - भजन (Prabhu Mere Mann Ko Banado Shivalay)

जानकी नाथ सहाय करें - भजन (Janaki Nath Sahay Kare)

तुझसा दयालु नहीं प्यारे: भजन (Tujh Sa Dayalu Nahi Pyare)

Picture of Sandeep Bishnoi

Sandeep Bishnoi

Leave a Comment