साखी विष्णु विसार मत जाई ये प्राणी,मिनखा देही है अनमोली,जग में दातार बड़ों

jambh bhakti logo
साखी विष्णु विसार मत जाई ये प्राणी
साखी विष्णु विसार मत जाई ये प्राणी

               साखी विष्णु विसार मत जाई ये प्राणी

विष्णु विसार मत जाइये प्राणी, तो सिर मोटो दावो जीवने ।

दिन-दिन आवं घंटती जावे, लगन लिख्यो ज्यू सावो जीवने।

काला केश कलाहल आयो, आयो बुग बधावो जीवने ।

गढ़ पालटियो कांय नचेत्यो, धाती रोल भनावै जीवने ।

 ज्यूं-ज्यूं लाज दुनी की लाजे, त्यूं त्यूं दाबे दावे जीवने । भलियो हुवे सो करे भलाई, बुरिया बुरी कमावे जीवने ।

दिन को भूल्यो रात न चेत्यो, दूर गयो पछतावो जीवने । गुरू मुख मुरखो चड़े न पोहण, मन मुख भार उठावै जीवन।

धन को गरब न कर प्राणी, मत धणिया ने भावै जीवने । हुकम को पान भी डुबै, सिलातिर ऊपर आवै जीवने । चावल ऊड़ेला तुस रहेला को बाइदों वावे जीवने ।

खिण एक मेध मंडल होय बरसे, खिण बांइदों वावौ जीवने । खिण एक जाय निरतर बरसे, खिण एक आप लखावै जीवने ।

सोवन नगरी लंक सरीखी, समंद सरीखी खाई जीवने । जिणरे पाट मंदोदरी राणी, साथे नचाली साई जीवने ।

 जिणरे पवन बुहारी देतो, सूरज तपै रसोई जीवने ।

नव ग्रह रावण पाये बांध्या, कुवै मींच संजोई जीवने ।

 बासंदर जारे कपड़ा धोवे, कोदू दले विहाई जीवने ।

जर पुराण संकल बांध्या, फेरी आपण राई जीवने ।

जिण तो साहिब जीरी खबर न पाई जाता वार न लाई जीवने ।

चांद भी सरणे सूर भी सरणै सरणै मेरू सवाई जीवने । धरती अरू असमान भी सरणै, पवन भी सरणै वाई जीवने। भगवी टोपी थल सिर आयो, की जो फरमावै जीवने ।

             साखी – मिनखा देही है अनमोली

मिनखा देही है अण मोली भजन बिना वृथा क्यूं खोवे । भजन करो गुरु जंभेश्वर का, आवागवण का दुखड़ा खोवे ।

गर्भवास में कवल किया था, कवल पलट हरि विमुख होवे । बालपणों बालक संग रमियो, जवान भयो माया बस होवे ।

चालीसा में तृष्णा जागी, मोह माया में पड़ कर सोवे ।

बेटा पोता और पड़पोता हस्ती घोड़ा बग्धी होवे ।

धन कर अहस करूं दुनिया में मेरे बराबर कोई न होवे ।

 गर्व गुमान करे मत प्राणी, गर्व कियो हिरणकुशस रोवे । गर्व कियो लंका पति रावण, सीता हड़कर लंका खोया ।

सच्चा पायक रामचन्द्र का, हनुमान बलकारी होवे ।

तन से तीर्थ न्हाय त्रिवेणी, ज्ञान बिना मुक्ति नहीं होवे ।

ज्ञान नहीं बनके मृगे में, कस्तूरी बन बन में टोवे ।

अड़सठ तीरथ एक सुभ्यागत, मात पिता गुरु से हौवे ।

 दोय कर जोड़ उदो जन बोले, आवागवण का दुःखड़ाखोवे।

गौरी के लाला हो, मेरे घर आ जाना: भजन (Gauri Ke Lala Ho Mere Ghar Aa Jana)

सेंसेजी का अभिमान खंडन भाग 1

रण में आयी देखो काली: भजन (Ran mein aayi dekho Kali)

                     साखी – जग में दातार बड़ों

जग में तो दातार बड़ो रे विधि सूं।

 सुणों विचार म्हारा प्राणियां रे । टेर। 1।

जल जीवण ऋषि तापियो कठियारे कर धार ।

बली राजा चकवे हुयो दान तणे उपकार ।।2।।

रांके दत रांके दियो भाव भुजा भल भीख ।

मानधाता मही ऊपरे अमर हुओ मण्डलीक ।।3।।

हाथ द्वादश लूगड़ो दीन्हो हरि के हेत ।

दुर्योधन दीठो दुनी. जनम्यो छत्र समेत ।।4।।

एक अघोड़ी दान दियो कर पुरोहित सूं प्रीत ।

संसार सुण शाको कियो, हुयो विक्रमजीत।।5।।

भूपति पोख्यो बाधने, विधि सूं विप्र विचार ।

दान दियो राजा मोरध्वज ने, आधो अंग उतार ।।6।।

सीचाण सिंवर संतोषियो, तन कांप्यो कर्णधार ।

अस्थि त्वचा दोनो दियो, देव कहवो दातार ।।7 ।।

 पोहमी प्रगट बादशाह. ताश समो सेतूल ।

हेतम हेतकर सौपियां कीर्यो कोल कबूल ।।8।।

 रावण शिव ने सौपियां, दश मस्तक दश बार ।

नवग्रह रावण बांधीया, दान तणे उपकार ।।9।।

 पहिले परमल सीचियों, ऊपर सीधो सींच ।

साख रही संसार में, दीयो दानं दधीच ।I10।।

अनेक अनेक अरू ऊभरने, गणित न आवे पार ।

जिण केशव की बीणती हमारी, आवागवण निवार ।।11।।

Jambh Bhakti

Picture of Sandeep Bishnoi

Sandeep Bishnoi

Leave a Comment