जम्भेश्वर भगवान आरती (जय गुरुदेव दयानिधि,ओम शब्द सोहम ध्यवे,ओम जय जगदीश हरे)

jambh bhakti logo

              जम्भेश्वर भगवान आरती (जय गुरुदेव दयानिधि)

जय गुरुदेव दयानिधि
जय गुरुदेव दयानिधि

आरती- जय गुरुदेव दयनिधी….

जय गुरुदेव दयानिधि, दीनन हितकारी ।

 जय जय मोह विनाशक, भव बंधन हारी ।

ओऽम जय ….

ब्रह्मा विष्णु सदा शिव, गुरू मालती धारी ।

 वेद पुराण बखानत, गुरु महिमा भारी ।।

ओम जय….।।1।।

जप तप तीर्थ संयम, दान विविध दीन्हें ।

 गुरू बिन ज्ञान न होवे, कोटि यत्न कीन्हें ।।

ओम जय…..।।2।।

माया मोह नदी जल जीव बहे सारे ।

नाम जहाज बिठा कर, गुरू पल में तारे ।।

ओऽम जय………..||3||

काम क्रोध मद मत्सर, चोर बड़े भारे ।

ज्ञान खड़ग ले कर में,गुरु सब संहारे।।

ओऽम जय…..।।4।।

नाना पनथ जगत में, निज निज गुण गावे ।

 सब का सार बताकर, गुरू मारग लावे ।।

ओऽम जय ।।5।।

गुरू चरणामृत निर्मल, सब पातक टारी ।

 वचन सुनत तम नाशे, सब संशय हारी ।

ओऽम जय…..।।6।।

तन मन धन सब अर्पण,गुरु चरणन कीजे।

ब्रमहानंद परम पद,मोक्ष गती दीजे।।

ओम जय…..।।7।।

आरती- ओम शब्द सोहम ध्यावे……

ओम शब्द सोऽहं ध्यान, स्वामी शब्द सोऽहं ध्यावे ।

 धूप दीप ले आरती, निज हरि गुण गावे ।

                                                  ओम शब्द ….

मन्दिर मुकुट त्रिशूल ध्वजा धर्मों की फररावे।

 झालर शंकर टंकारो, नोबत धररावे ।

दत्तात्रेय स्तोत्रम् (Dattatreya Strotam)

बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा (Baidyanath Jyotirlinga Utpatti Pauranik Katha)

जरा इतना बता दे कान्हा, कि तेरा रंग काला क्यों - भजन (Jara Etna Bata De Kanha Tera Rang Kala Kyo)

                                                 ओम शब्द…….

तीर्थ तालवो गुरु की समाधि, परस स्वर्ग जावे ।

 अड़सठ तीर्थ के फल समराथल पावे ।

                                                  ओम शब्द…….

 फागण मंज शिवरात यात्री, रल मिल सब आवे ।

  झिगमिग ज्योति समराथल, शम्भु के मन भावे ।

                                                  ओम शब्द…….

धर्मी करें आनन्द भवन में, पापी थररावे ।

 राजू शरण गुरू की क्यों मन भटकावे ।

                                                  ओम शब्द……..

आरती- ओम जय जगदीश हरे

ॐ जय जगदीश हरे, प्रभू जय जगदीश हरे ।

 भक्त जनों के संकट, छिण में दूर करें ।। ऊँ ।।

 जो ध्यावे फल पावे, दुख बिनसे मन का ।। प्रभु ।।

  सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का ।। ॐ ।।

 मात पिता तुम मेरे शरण गहूं में किसकी ।। प्रभु ।।

  तुम बिन और न दूजा, आस करू जिसकी ।। ॐ ।।

 तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतर्यामी ।। प्रभु ।।

  पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी ।। ॐ ॥

 तुम करूणा के सागर, तुम पालन कर्ता ।। प्रभु ।।

  मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता ।। ॐ ।।

 तुम हो एक अगोचर, सब के प्राणपति ।। प्रभु ।।

  किस विध मिलू दयामय, तुमकों में कुमति ।। ॐ।।

 दीन बन्धु दुःख हर्ता, तुम ठाकुर मेरे ।। प्रभु।।

  अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे ।। ॐ।।

 विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा ।। प्रभु।।

 श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा । ॐ ।।

जय गुरुदेव दयानिधि,जय गुरुदेव दयानिधि, जय गुरुदेव दयानिधि

Sandeep Bishnoi

Sandeep Bishnoi

Leave a Comment