Katha

महालक्ष्मी व्रत कथा (Mahalakshmi Vrat Katha)

प्राचीन काल की बात है, एक गाँव में एक ब्राह्मण रहता था। वह ब्राह्मण नियमानुसार भगवान विष्णु का पूजन प्रतिदिन करता था। उसकी भक्ति से

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 31 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 31)

कार्तिक मास माहात्म्य का, यह इकत्तीसवाँ अध्याय । बतलाया भगवान ने, प्रभु स्मरण का सरल उपाय ॥ भगवान श्रीकृष्ण ने कहा- पूर्वकाल में अवन्तिपुरी (उज्जैन)में

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 33 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 33)

दया दृष्टि कर हृदय में, भव भक्ति उपजाओ। तैंतीसवाँ अध्याय लिखूँ, कृपादृष्टि बरसाओ।। सूतजी ने कहा- इस प्रकार अपनी अत्यन्त प्रिय सत्यभामा को यह कथा

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Sandeep Bishnoi