
पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 2 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 2)
सूतजी बोले, ‘राजा परीक्षित् के पूछने पर भगवान् शुक द्वारा कथित परम पुण्यप्रद श्रीमद्भागवत शुकदेवजी के प्रसाद से सुनकर और अनन्तर राजा का मोक्ष भी
सूतजी बोले, ‘राजा परीक्षित् के पूछने पर भगवान् शुक द्वारा कथित परम पुण्यप्रद श्रीमद्भागवत शुकदेवजी के प्रसाद से सुनकर और अनन्तर राजा का मोक्ष भी
श्रीनारायण बोले, ‘हे नारद! भगवान् पुरुषोत्तम के आगे जो शुभ वचन अधिमास ने कहे वह लोगों के कल्याण की इच्छा से हम कहते हैं, सुनो।
श्रीनारायण बोले, ‘चित्रगुप्त धर्मराज के वचन को सुनकर अपने योद्धाओं से बोले, ‘यह कदर्य प्रथम बहुत समय तक अत्यन्त लोभ से ग्रस्त हुआ, बाद चोरी
पुण्यशील-सुशील बोले, ‘हे विभो! गोलोक को चलो, यहाँ देरी क्यों करते हो? तुमको पुरुषोत्तम भगवान् का सामीप्य मिला है। कदर्य बोला, ‘मेरे बहुत कर्म अनेक
नारदजी बोले, ‘हे तपोनिधे! तुमने पहले पतिव्रता स्त्री की प्रशंसा की है अब आप उनके सब लक्षणों को मुझसे कहिये। सूतजी बोले, ‘हे पृथिवी के
दृढ़धन्वा राजा बोला, ‘हे मुनियों में श्रेष्ठ! हे दीनों पर दया करने वाले! श्रीपुरुषोत्तम मास में दीप-दान का फल क्या है? सो कृपा करके मुझसे
आशा दशमी की पौराणिक व्रत कथा, जो भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई थी, इस कथा के अनुसार प्राचीन काल में निषध देश में एक
जम्भ भक्ति एक ऐसा माध्यम है जिसपे आप लोग हिन्दू धर्म के भजन, जाम्भोजी के द्वारा बताये गये सभी प्रश्न उत्तर सभी एक साथ सुन और पढ़ सकते है. जम्भ भक्ति आपको भजन सुनने के लिए प्ले स्टोर पर एप्प देता है जिसे डाउनलोड करके आप भजन, आरती तथा सखी सुन सकते है. जम्भ भक्ति की वेबसाइट पर आप जाम्भोजी के बारे में, हिन्दू धर्म के बारे जान सकते है तथा पढ़ सकते है.
2023© All Right Reserved Jambh Bhakti & Home Decore 24