ऐसा सुंदर स्वभाव कहाँ पाया,
राघवजी तुम्हें ऐसा किसने बनाया ।
पर नारी पर दृष्टि न ड़ाली,
ऐसी तुम्हरी प्रकृति निराली,
तुम्हें वाल्मीकि तुलसी ने गाया,
राघवजी तुम्हें ऐसा किसने बनाया ।
ऐसा सुंदर स्वभाव कहाँ पाया,
राघवजी तुम्हें ऐसा किसने बनाया ।
अवगुन देख के क्रोध न आता,
भक्तों को देख के प्रेम न समाता,
धन्य कोसलाजू जिसने तुम्हें जाया,
राघवजी तुम्हें ऐसा किसने बनाया ।
ऐसा सुंदर स्वभाव कहाँ पाया,
राघवजी तुम्हें ऐसा किसने बनाया ।
जय राधे, जय कृष्ण, जय वृंदावन: भजन (Jaya Radhe Jaya Krishna Jaya Vrindavan)
आईं महादेवी अवतार, भवानी मोरे अंगना में: भजन (Aayi Mahadevi Avtar Bhawani More Angna Main)
करवा चौथ व्रत कथा: साहूकार के सात लड़के, एक लड़की की कहानी (Karwa Chauth Vrat Katha)
अपने किये का अभिमान न तुमको,
निज जन का सनमान है तुमको,
तुम्हें रामभद्राचार्य अति भाया,
राघवजी तुम्हें ऐसा किसने बनाया ।
ऐसा सुंदर स्वभाव कहाँ पाया,
राघवजी तुम्हें ऐसा किसने बनाया ।