हे नाथ दया करके,
मेरी बिगड़ी बना देना,
अब तक जो निभाया है,
आगे भी निभा देना,
आगे भी निभा देना,
हें नाथ दया करके,
मेरी बिगड़ी बना देना ॥
लाचार हूँ मैं भोले,
इस मन से हारा हूँ,
विश्वास यही है मुझे,
मैं तेरा प्यारा हूँ,
कभी टूटे ना ये रिश्ता,
ये ध्यान सदा रखना,
हें नाथ दया करके,
मेरी बिगड़ी बना देना,
मेरी बिगड़ी बना देन ॥
जप तप ना जानू मैं,
ना पूजा पाठ तेरा,
बस तेरी दया पर ही,
चलता है गुजर मेरा,
ये दया प्रभु तेरी,
हरदम रखते रहना,
हें नाथ दया करके,
मेरी बिगड़ी बना देना,
मेरी बिगड़ी बना देन ॥
मैं तेरे प्यार की,
छाया में रहूँ हरदम,
कभी आकर घेरे ना,
दुनिया का कोई भी गम,
तेरे नाम की मस्ती का,
बाबा जाम पिला देना,
हें नाथ दया करके,
मेरी बिगड़ी बना देना,
मेरी बिगड़ी बना देन ॥
मैं नाथ तुम्हे कहता,
तुम सर्वस्व हो मेरे,
‘सांवर’ बस तेरा है,
गुणगान करे तेरे,
मुझे अंत समय में तू,
तेरी गोद बिठा लेना,
हें नाथ दया करके,
मेरी बिगड़ी बना देना,
मेरी बिगड़ी बना देन ॥
जया एकादशी व्रत कथा (Jaya Ekadashi Vrat Katha)
पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 3 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 3)
हे नाथ दया करके,
मेरी बिगड़ी बना देना,
अब तक जो निभाया है,
आगे भी निभा देना,
आगे भी निभा देना,
हें नाथ दया करके,
मेरी बिगड़ी बना देना ॥