भजन :- गिरधर गोकुल आव ,जंभेश्वर भगवान म्हाने दर्शन दो जी आय, भजन :- गावो गावो ए सईयां म्हारी गितड़ला

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गिरधर गोकुल आव
गिरधर गोकुल आव

भजन :- गिरधर गोकुल आव 

गिरधर गोकुल आव गोपी संदेशो मोकलो ।

मोहि दरशण रो राव, प्रेम पियारा कानजी ।टेक ।

थारे माथे मुकुट सु ढाल, केसर तिलक जू हद बण्यो ।

मोहन नेण विशाल, सुन्दर बदनसुहावणों ।।1।।

घूघर वाला केश कानन कुंडल झलक रही ।

ओही मनोहर बेस म्हारे मन में रम रहयो ।।2।।

गल वैजयन्ती माल पीताम्बर कटि काछनी ।

हाथ लकुटिया लाल श्याम सलूणो सांवरों ।।3।।

गावे सतसू राग गिरधर मुरली मोवनी ।

मोये मोये सुर नर नाग गोपी माये ग्वालियर ।।4।।

 वे दिन कानह चितार महीडो मो पे मांगता ।

अब तुम गये विसार मथुरा में महाराज बने ।।5।।

चेरी कंस की दास भली बसाइ भावनी ।

वा संग कियो निवार सैंस सहेल्यां छोड़के ।।6।।

थाने झुरे यशोदा माय राधा पलक ना वीसरे ।

 ललिता जीव ललचाय दरसण कालण दूबली ।।7।।

 थाने झुरे बिरज की नार, घर घर झुरे ग्वालिया ।

 गऊ तिण तज्यो मुरार बछड़ा खीर न पीवही ।।8।।

“उदो” कह कर जोड़ काय विसारो कान्हवा ।

 म्हारी अरज सुणो रणछोड़ दरसण दयाकर दीजिये ।।9।।

भजन :- जंभेश्वर भगवान म्हाने दर्शन दो जी आय

जंभेश्वर भगवान म्हाने दर्शन दो जी आय ।

म्हारी भरी सभा में आवोजी जम्भेश्वर भगवान ।। टैर ।।

दिल्ली शहर में आप पधारे, भक्त प्रीत पहचान ।

धर्मराज युधिष्ठिर कथा भाग 3

धन धन भोलेनाथ बॉंट दिये, तीन लोक - भजन (Dhan Dhan Bholenath Bant Diye Teen Lok)

षटतिला एकादशी व्रत कथा (Shat Tila Ekadashi Vrat Katha)

हासम कासम का बंधन छुड़ाया, गऊ की बचाई जान ।

सेंसे के घर आप पधारे, अन्न का मांग्या दान ।

गरम हुई सैंसे की नारी, पतरी दीनी भान ।।2।।

 नौरंगी ने भरियो मायरो रोटू नगर रै मायं ।

 रथ सू नीचा आप उतरिया, पत्थर मंडिया पावं ।।3।।

 जम्भेश्वर के नाम बिना, झूठा जग संसार ।

शंकर प्रताप गुरुजी के शरणे, दो भक्ति वरदान ।।4।।

भजन :- गावो गावो ए सईयां म्हारी गितड़ला

गावो गावो ए सईयां म्हारी गितड़ला

मुरली गावो मुकाम सुणेला म्हारा जांभोजी ।

पीपासर में ओ गुरूजी प्रगट्या

लोहट जी की सुणी पुकार………..1

 समराथल पर ओ गुरूजी पधारिया

 बिश्नोई दिया रे बणाय……..2

 गढ चितौड़ ओ गुरूजी सिधाविया

दियो झाली राणी रो दुख मेट…….3

 दिल्ली शहर में ओ गुरुजी पधारिया

दीवी मरती गऊवा बचाय………4

हरि भज कथियो रे कविजन राम ने

 हुई गुरूजी की महर ………5

गिरधर गोकुल आव, गिरधर गोकुल आव

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Sandeep Bishnoi

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