हनुमानजी स्तुति,
जय बजरंगी जय हनुमाना,
रुद्र रूप जय जय बलवाना,
पवनसुत जय राम दुलारे,
संकट मोचन सिय मातु के प्यारे ॥
जय वज्रकाय जय राम केरू दासा,
हृदय करतु सियाराम निवासा,
न जानहु नाथ तोहे कस गोहराई,
राम भक्त तोहे राम दुहाई ॥
विनती सुनहु लाज रखहु हमारी,
काज कौन जो तुम पर भारी,
अष्टसिद्धि नवनिधि केरू भूपा,
बखानहु कस विशाल अति रूपा ॥
धर्म रक्षक जय भक्त हितकारी,
सुन लीजे अब अरज हमारी,
भूत प्रेत हरहु नाथ बाधा,
सन्तापहि अब लाघहु साधा ॥
मान मोर अब हाथ तुम्हारे,
करहु कृपा अंजनी के प्यारे,
बन्दतु सौरभ दास सुनहु पुकारी,
मंगल करहु हे मंगलकारी ॥
हनुमान चालीसा | श्री हनुमान आरती | संकटमोचन अष्टक | बालाजी आरती | श्री राम स्तुति
इतनी विनती है तुमसे हे भोले मेरे - भजन (Itni Vinti Hai Tumse Hai Bhole Mere)
माँ दुर्गा देव्यापराध क्षमा प्रार्थना स्तोत्रं (Maa Durga Kshama Prarthna Stotram)
मंत्र: अलसस्य कुतः विद्या (Alasasya Kutah Vidya)
◉ श्री हनुमंत लाल की पूजा आराधना में हनुमान चालीसा, बजरंग बाण और संकटमोचन अष्टक का पाठ बहुत ही प्रमुख माने जाते हैं।
यह हनुमानजी स्तुति सब रस युवा कवि सौरभ मिश्रा हिन्द द्वारा ब्रज अवधि व बघेली भाषा को मिश्रित कर लिखी गई है। युवा कवि ‘सौरभ मिश्रा हिन्द’ मध्यप्रदेश के रीवा जिले के हनुमना के समीप एक छोटे से गांव मुर्तिहा के निवासी हैं व सभी रसों, सभी विधाओं में काव्य रचना कर हिंदी साहित्य में अपनी उपस्थिति दर्शाते हैं। वास्तव में इनकी रचनाए अति उत्कृष्ट व मन मुग्ध करने वाली होती हैं।