29 Rule Bishnoi ( 29 नियम बिश्नोई )
तीस दिन सुतक , पांच ऋतुवन्ती न्यारो ।
सेरा करो स्नान शील संतोष सुचि प्यारो।
द्विकाल संध्या और, सांझ आरती गुण गावो ।
होम हित चित प्रीत ना होय , बस बैंकुण्ठा पावो ।
पाणी बाणी धणी, दूध इतना लीजै छाण।
क्षमा दया हिरदे धरो, गुरु बतायो जान ।
चोरी निन्दा झूठ बरजियो, वाद न करणो कोय ।
अमावस्या को वृत राखणो, भजन विष्णु बताया जोय ।
जीव दया पालणी , रूंख लीलो नहीं घावै ।
अजर जरे जीवत मरै , सै वास स्वर्ग ही पावै ।
करै रसोई हाथ सू, आन पलो न लावै ।
अमर रखावै ठाट बैल बधिया न करावै ।
अमल तंबाकू भांग , मद्य मांस सु दूर ही भागे।
लील न लावै अंग , देखते दूर ही त्यागै ।
दोहा
उन्नतीस धर्म की आंखड़ी, हिरदे धरियो जोय।
जाम्भोजी कृपा करी, राम विश्नोई होय।
हरी ॐ विष्णु, हरी ॐ विष्णु
साखी - तारण हार थला शिर आयो,बाबो जंभू दीपे प्रगट्यो(Bishnoi jambhoji Saakhi)
राधा के मन में, बस गए श्याम बिहारी - भजन (Radha Ke Man Mai Bas Gaye Kunj Bihari)
मुथथिथारु पट्ट थिरुनागई (Muthai Tharu Patthi Thirunagai)
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