जाम्भोजी का इतिहास (Jambhoji History in Hindi)

jambh bhakti logo
जाम्भोजी का इतिहास (Jambhoji History in Hindi)

नमस्कार भाईयो ओर बहिनों इस पोस्ट में आप श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान का इतिहास के बारे में जानने को मिलेगा अगर पोस्ट अच्छी लगे तो आगे जरूर शेयर करें।(History of Jambhoji)

जाम्भोजी का इतिहास (Jambhoji History in Hindi)
जाम्भोजी का इतिहास (Jambhoji History in Hindi)

श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान

  • जाम्भोजी का मूल नाम धनराज था ।
  • जम्भेश्वर जी का जन्म 1451 ईं (विक्रम सम्वत 1508) में जन्माष्टमी के दिन नागौर जिले के पीपासर गाँव में हुआ था । 
  • जम्मेश्वर जी के पिता का नाम लोहट जी तथा माता का नाम हंसादेवी था ।
  •  इनके पिता पंवार राजपूत थे ।
  • इनके गुरू का नाम गोरखनाथ था ।
  • इनकी माता हंसादेवी ने उन्हें श्रीकृष्ण का अवतार माना ।

Jambhoji ki Jivani

  • जम्मेश्वर जी ने 34 वर्ष की उम्र में सारी सम्पति दान कर दी और दिव्य ज्ञान प्राप्त करने बीकानेर के संभराथल नामक स्थान पर चले गये ।
  • जाम्भो जी ने बिश्नोई समाज में धर्म की प्रतिष्ठा के लिए 29 नियम बनाये ।
  • इसी तरह बीस और नौ नियमों को मानने वाले बीसनोई या बिश्नोई कहलाये ।
  • संत जम्भेश्वर जी को पर्यावरण वैज्ञानिक कहा जाता है । जाम्भो जी ने 1485 में समराथल (बीकानेर) में बिश्नोई सम्प्रदाय का प्रवर्तन किया ।

jambhoji ki pramukh granth

  • जाम्भो जी ने ‘ जम्भसंहिता ‘ ‘ जम्भसागर शब्दावली ‘ और ‘ बिश्नोई धर्म प्रकाश ‘ आदि ग्रन्थों की रचना की गई ।
  • जम्भेश्वर जी के द्वारा रचित 120 शब्द जम्भवाणि में जम्भ सागर संग्रहित है ।
  • संत जाम्भो जी ने हिन्दू तथा मुस्लिम धर्मों में व्याप्त भ्रमित आडम्बरों का विरोध किया ।
  • पुरानी मान्यता के अनुसार जम्मेश्वर जी के प्रभाव के फलस्वरूप ही सिकन्दर लोदी ने गौ हत्या पर प्रतिबन्ध लगाया था ।
 
 

बिश्नोई सम्प्रदाय की स्थापना

  • संत जाम्भो जी ने बिश्नोई सम्प्रदाय की स्थापना कार्तिक बदी अष्टमी को संभराथल के एक ऊंचे टीले पर की थी, उस टीले को इस पंथ में ‘ धोक धोरे ‘ के नाम से जाना जाता है ।
  • गुरू जम्भेश्वर जी के मुख से उच्चारित वाणी शब्दवाणी कहलाती है । इसी को जम्भवाणि और गुरू वाणी भी कहा जाता है
  • बीकानेर नरेश ने संत जाम्भो जो के सम्मान में अपने राज्य बीकानेर के झंडे में खेजड़े के वृक्ष को माटों के रूप में रखा ।
  • जाम्भो जो के अनुयायी 151 शब्दों का संकलन जम्भ गीत को ‘ पांचवां वेद ‘ मानते है । यह राजस्थानी भाषा का अनुपम ग्रंथ है ।
  • राव दूदा जम्भेश्वर के समकालीन थे ।
  • बिश्नोई नीले वस्त्र का त्याग करते है ।
  • जाम्भो जो के उपदेश स्थल साथरी कहलाते है
  • बिश्नोई सम्प्रदाय में गुरू जाम्भो जी को विष्णु का अवतार मानते है । गुरू जाम्भो जी का मूलमंत्र था हृदय से विष्णु का नाम जपो और हाथ से कार्य करो ।
  • गुरू जाम्भो जी ने संसार को नाशवान और मिथ्या बताया । इन्होंने इसे ‘गोवलवास (अस्थाई निवास) कहा ।

हरी दर्शन की प्यासी अखियाँ - भजन (Akhiya Hari Darshan Ki Pyasi)

फाल्गुन संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा (Falgun Sankashti Ganesh Chaturthi Vrat Katha)

कभी-कभी भगवान को भी भक्तो - भजन (Kabhi Kabhi Bhagwan Ko Bhi Bhakto Se Kam Pade)

पाहल

  • गुरू जाम्भीजी द्वारा तैयार ‘ अभिमंत्रित जल ‘ जिसे पिलाकर इन्होंने आज्ञानुवर्ती समुदाय को बिश्नोई पंथ में दीक्षित किया था ।

“कथा जैसलमेर की’…

  • संतं कवि वील्होजी (सन्  1532-1616) द्वारा लिखित इतिहास प्रसिद्ध कविता, जिसमें ऐसे छ: राजाओं के नामों का पता चलता है, जो उनके समकालीन थे और उनकी शरण में आये थे ।
  •  ये छ: राजा थे…
  1.  दिल्ली के बादशाह सिकन्दर लोदी
  2. नागौर का नवाब मुहम्मद खान नागौरी,
  3. मेड़ता का राव दूदा,
  4. जैसमलेर का राव जैतसी
  5. जोधपुर का राठौड़ राव सातल देव
  6. मेवाड का महाराणा सागा ।

पीपासर

  • नागौर जिले में स्थित पीपासर गुरू जम्मेश्वर जी की जन्म स्थली है ।
  • यहाँ उनका मंदिर है तथा उनका प्राचीन घर और उनकी खडाऊ यहीं पर है ।

मुक्तिधाम मुकाम

  • यहाँ गुरू जम्भेश्वर जी का समाधि स्थल हैं।
  • बीकानेर जिले की नोखा तहसील में स्थित मुकाम में सुन्दर मंदिर भी बना हुआ है ।
  • जहाँ प्रतिवर्ष फाल्गुन और अश्विन की अमावस्या को मेला लगता है ।

लालसर (बीकानेर)

  • जम्मेश्वर जी ने यहाँ निर्वाण प्राप्त किया था ।

जाम्भा

  • जोधपुर जिले के फलौदी तहसील में जाम्भा गाँव है। जम्भेश्वर जी के कहने पर जैसलमेर के राजा जैतसिंह ने यहाँ एक तालाब बनाया था । बिश्नोई समाज के लिए यह पुष्कर के समान पावन तीर्थ है ।
  •  यहाँ प्रत्येक वर्ष चैत्र अमावस्या व भाद्र पूर्णिमा को मेला लगता है ।
 
 

जांगलू यह बीकानेर की नोखा तहसील में स्थित है । जम्भेश्वर जी का यहाँ पर सुन्दर मंदिर है ।

रामड़ावास

  • यह जोधपुर जिले में पीपल के पास स्थित है । यहाँ जम्भेश्वर जी ने उपदेश दिये थे ।

लोदीपुर

  • उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद जिले में स्थित है । अपने भ्रमण के दौरान जम्मेश्वर जी यहाँ आये थे ।
  • बिश्नोई संप्रदाय भेड पालना पसंद नहीं करते, क्योंकि भेड़ नव अंकुरित पौधों को खा जाती है ।
  • 1526 ईं. (वि सं 1593) में त्रयोदशी के दिन मुकाम नामक गाँव में समाधि ली थी ।
 
 
 
आगर आप कहीं से भी ये पोस्ट पढ़ रहे हैं तो  JAMBH BHAKTI से पढ़ रहे है ।
Picture of Sandeep Bishnoi

Sandeep Bishnoi

Leave a Comment